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Friday, June 27, 2025

पीएम मोदी ने नववर्ष के दिन से शुरू होने वाले त्योहारों की दी शुभकामनाएं, जानें किस राज्य में किस नाम से मनाया जाता है उत्सव

हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष शुरू होता है। इस बार हिंदू नववर्ष, 13 अप्रैल यानी आज से शुरू हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देशवासियों को नववर्ष के दिन से शुरू होने वाले विभिन्न त्योहारों की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि त्योहार भारत की विविधता और एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को प्रदर्शित करते हैं।

पीएम मोदी ने देशवासियों को दी शुभकामनाएं

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा, अगले कुछ दिनों में, भारत भर के लोग विभिन्न त्योहारों को चिह्नित करने जा रहे हैं। ये त्योहार भारत की विविधता और एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को प्रदर्शित करते हैं। इन विशेष अवसरों से पूरे देश में खुशी, समृद्धि और भाईचारा फैलता है।
प्रधानमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा, सभी देशवासियों को नव संवत्सर की मंगलकामनाएं। यह पावन अवसर हर किसी के जीवन में हर्षोल्लास लेकर आए। ”देशवासियों को नवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। जय माता दी।’

इस दौरान प्रधानमंत्री ने गुड़ी पड़वा, साजिबु चेरोबा,नवरेह, चेटीचंड और वैशाखी, की सभी देशवासियों को बधाई दी।

इससे पहले उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आगामी त्योहारों ‘उगादि, गुड़ी पड़वा, चैत्र शुक्लादि, चेटीचंड, वैशाखी, विशु, पुथांडु, वैशाखादि और बोहाग बिहू’ से पहले देश के लोगों को शुभकामनाएं दी।

देश के राज्यों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है त्योहार
ये त्योहार पारम्परिक नव वर्ष के शुभारंभ के अवसर पर मनाये जाते हैं और हमारे देश की सामासिक संस्कृति और समृद्ध विरासत को दर्शाते हैं। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोग ‘उगादि’ और कर्नाटक में ‘युगादी’ के नाम से इस त्यौहार को मनाते हैं। महाराष्ट्र में इसे ‘गुड़ी पड़वा’ और तमिलनाडु में ‘पुथांडु’ के नाम से यह त्यौहार मनाया जाता है। केरल में हमारे मलियाली भाई-बहन इसे ‘विशु’ और पंजाब में ‘वैशाखी’ के नाम से इस उत्सव को मनाते हैं। ओडिशा में इसे ‘पणा संक्राति’ के नाम से मनाया जाता है। पश्चिमी बंगाल में ‘पोइला बोइशाख’ और असम में ‘बोहाग बिहू’ नव वर्ष के आगमन का प्रतीक है। इस त्यौहार का आयोजन अलग-अलग नामों से किया जाता है, लेकिन उल्लास, उमंग और घनिष्ठता की भावना से परिपूर्ण उत्सवी माहौल हर जगह एक समान होता है।

प्रकृति के चैतन्य और प्राचुर्य का उत्सव


हमारे धर्म ग्रंथों और शास्त्रों में अनेक ऐसी घटनाओं का उल्लेख है, जिससे प्रकृति के प्रति हमारी श्रद्धा का पता चलता है। हमारे देश में फसल-कटाई का मौसम अपने आप में एक ऐसा अवसर होता है, जो प्रकृति के चैतन्य और प्राचुर्य के उत्सव की तरह मनाया जाता है।

हमारे देश में, त्यौहार सदा से ऐसा अवसर रहा है, जब परिजन और मित्र-बंधु एक साथ मिलकर उत्सव का आयोजन करते हैं। परंतु कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न हुई स्थिति को ध्यान में रखते हुए सभी नागरिकों से कोविड-19 संबंधी स्वास्थ्य और स्वच्छता नयाचारों का अनुपालन करते मनाने की अपील की।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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