23.1 C
Delhi
Friday, November 22, 2024

पति के सरकार द्वारा आवंटित स्थान पर पत्नी का हक दिखाना उचित नहीं

एक महिला की पति के सरकारी आवास पर रहने की जिद्द को अदालत ने न्यायसंगत नहीं माना है। अदालत ने इस महिला की पति के सरकारी निवास पर जबरन रहने के हक को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा है कि पत्नी अपने पति की निजी संपति पर अधिकार मांग सकती है। सरकार द्वारा आवंटित स्थान पर हक दिखाना उचित नहीं है।

पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेन्द्र राणा की अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि जहां पति रहेगा, वहां पत्नी साथ रहने का अधिकार मांग सकती है। लेकिन सरकारी संपति पर बने रहने का हक उचित नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि महिला चाहे तो पति से रहने के लिए जगह की मांग कर सकती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह उस आवास पर कब्जा कर ले जो सरकार द्वारा उसके पति को निर्धारित अवधि के लिए आवंटित किया गया है। महिला पति से रहने के जगह की मांग करते हुए अलग से याचिका दायर कर सकती है। लेकिन पारवारिक विवाद में सरकारी निवास पर कब्जा न्यायोचित नहीं है। लिहाजा महिला को सरकारी आवास को खाली करना होगा।

पति का दिल्ली से बाहर हो गया है ट्रांसफर
यह विवाद एक सेना के अधिकारी व उनकी पत्नी के बीच है। सेना के अधिकारी को पहले दिल्ली में सरकारी आवास आवंटित था। जिसमें दोनों पति-पत्नी रहते थे। लेकिन कुछ समय पहले दोनों के बीच आपस में विवाद रहने लगा। इसी दौरान पति का दूसरे राज्य में ट्रांसफर हो गया। पति ट्रांसफर के बाद राजस्थान चला गया। लेकिन पत्नी दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर बनी रही। सरकार द्वारा फ्लैट खाली करने का नोटिस दिया गया तो महिला ने पति के आवास पर रहने का अधिकार का हवाला दे आवास खाली करने से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं पत्नी ने अपने हक के आधार पर अदालत में याचिका भी दाखिल की। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने महिला की याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद महिला ने सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया। परन्तु सत्र अदालत ने साफ कर दिया कि उसकी मांग नाजायज है।

पति ने कहा आवास खाली ना करने पर भुगती है सजा
सेना के नियमों का हवाला देते हुए प्रतिवादी पति की तरफ से अदालत में दलील दी गई कि दिल्ली से ट्रांसफर के बाद भी आवास खाली ना करने पर विभाग की तरफ से उन्हें अनुशासनात्मक सजा भुगतनी पड़ी है। जबकि वास्तविकता में उनकी कोई गलती नहीं है। लेकिन क्योंकि पत्नी जिद्द पर अड़ी है। इसलिए भुगतना उन्हें पड़ रहा है। प्रतिवादी पति का यह भी कहना है कि पत्नी उच्च शिक्षित महिला हैं। वह अपना गुजर-बसर कर सकती है। रहने के लिए जगह की मांग करना उचित नहीं है। इस पर अदालत ने कहा कि इस मसले पर प्रतिवादी अलग से याचिका दायर कर सकते हैं। उस समय इस पर सुनवाई होगी।

newsaddaindia6
newsaddaindia6
Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »