भोपालः आज पूरे मध्य प्रदेश में नर्मदा जयंती मनाई जा रही है. देश और मध्य प्रदेश की संस्कृति में नर्मदा नदी का विशेष महत्त्व है. नर्मदा नदी मध्य प्रदेश के लोगों की आस्था से जुड़ी हुई है. हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है. अंग्रेजी कैलेंडर के सप्तमी 19 फरवरी को पड़ी इसलिए इस बार नर्मदा जयंती 19 फरवरी को मनाई जा रही है. नर्मदा के उदगम स्थल अमरकंठक में हर साल नर्मदा जयंती पर बड़ा आयोजन होता है.
नर्मदा पूजन विधि
नर्मदा जयंती पर मां नर्मदा की पूजन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के मध्य तक की जा सकती है. सुबह स्नान के बाद नर्मदा के तट पर फूल, अक्षत, कुमकुम, धूप आदि से मां नर्मदा की पूजन करना चाहिए. नर्मदा नदी में आटे के 11 दीप जलाकर जल प्रवाह करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं
स्नान का शुभ मूहुर्त
माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी इस बार 18 फरवरी से ही शुरू हो रही है, जो 19 फरवरी 10:59 तक रहेगी. ऐसे में सुबह ब्रह्म मूहुर्त से लेकर सुबह 10:59 तक स्नान के लिए शुभ मूहुर्त माना गया है. इस दौरान स्नान करने से विशेष पुण्यलाभ मिलता है.
नर्मदा जयंती का महत्व
हिंदू धर्म के में नर्मदा नदी को गंगा के समान ही माना जाता है. शास्त्रों को अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को ही मां नर्मदा का अवतरण भगवान शंकर से पृथ्वी पर हुआ था. इसलिए इसी दिन नर्मदा जयंती मनाई जाती है. मान्यता है कि देवताओं के पाप धोने के लिए भगवान शिव ने मां नर्मदा को उत्पन्न किया था. मान्यता है कि अगर सच्चे मन से नर्मदा नदी में स्नान किया जाए तो व्यक्ति के समस्त पाप धुल जाते हैं. नर्मदा नदी मध्य प्रदेश के साथ महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ हिस्सों से बहती है. इसलिए तीनों राज्यों में नर्मदा जयंती धूमधाम से मनाई जाती है.