सचमुच यह अकल्पनीय, अद्भुत, अद्वितीय, अलौकिक दृश्य था। ऐसा लगा कि मानो धरा पर स्वर्ग उतर आया हो। ऐसी विरल- दुर्लभ छटा काशी विश्वनाथ की इस नगरी में प्रति वर्ष कार्तिक पूर्णिमा की शाम देख हर कोई का मन यही करता है कि बस समय ठहर जाय।
इस बार का यह पर्व कोरोना महामारी के चलते अलग जरूर था मगर स्थानीय सांसद और देश के प्रधान मंत्री के आगमन ने काशी वासियों की उदासी दूर करते हुए उन्हें उल्लहास और रोमांच से पुलकित कर दिया।
कहते हैं कि काशी नरेश देबोदास ने…….
तीनों लोकों से न्यारी भगवान शिव की नगरी काशी सोमवार की शाम एक बार फिर ऐतिहासिक नजारों का गवाह बनी। देव दीपावली के मौके पर पहली बार कोई प्रधानमंत्री गंगा घाट पहुंचे। राजघाट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दीया जलाते ही गंगा किनारे लगे लाखों दीये जगमगा उठे। हर तरफ अलौकिक छठा बिखर गई। हर बार केवल गंगा के इस बार ही रोशनी होती थे लेकिन पीएम मोदी की अगवानी में गंगा पार रेती भी रोशन हुई।
अनूठे जल प्रकाश उत्सव के रूप में विश्व विख्यात देव दीपावली के मौके पर उत्तरवाहिनी मां गंगा के घाटों पर खास नजारा देखने के लिए देश-दुनिया से लोगों का हुजूम दोपहर बाद ही घाटों की ओर बढ़ चला था। भीड़ देखकर नहीं लग रहा था कि कोरोना जैसी कोई महामारी भी फैली है।
रेत शिल्प, झांकियों और रंगोली ने मोहा मन
प्रधानमंत्री मोदी के आगमन के कारण इस बार रेत शिल्प का अद्भुत नजारा देखने को मिला। कई घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों और रंगोली ने लोगों का मन मोह लिया। घाटों पर गुब्बारों और फूलों संग सजावट ने जहां विदेशियों को चमत्कृत किया तो रेत पर आकृतियां उकेर कर घाटों की रौनक से पर्व को उल्लासित किया। दूसरी ओर आस्थावानों की अपार भीड़ ने गंगा की निर्मलता को नमन कर गंगा के प्रति अपार आस्था को ऊंचाइयां प्रदान कीं। दशाश्वमेध घाट पर हर साल की तरह अमर जवान ज्योति और इंडिया गेट ने आकर्षिक किया।
रोशनी से नहा उठे गंगा घाट
घाट पर जहां आयोजकों की ओर से तैयारियों को दोपहर तक पूरा कर आयोजन को भव्य रुप देने की तैयारी पूरी कर ली गई वहीं सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी का इंतजार था। मोदी के दीप जलाते ही उत्तरवाहिनी मां गंगा समेत नदियों और सरोवर कुंडों के तट पर लाखों दीपों की माला जगमगा उठी। धूप-दीप, गुग्गुल-लोबान की सुवास ने श्रद्धा के भाव संग शाम होते ही घाटों को गमकाया तो घाटों की अर्ध चंद्राकार श्रृंखला भी आस्था के अपार सागर से ओतप्रोत नजर आई। घाटों की साज सज्जा ऐसी कि मानो स्वर्ग साक्षात मां गंगा के आंचल में समाने को व्याकुल नजर आने लगा। दूर गंगा के उस पार रेती पर भी आस्थावानों की चहलकदमी घाटों की अर्धचंद्राकार छवि को अपलक निहारती नजर आई।
वरुणा के तट भी हुए रोशन
काशी की दूसरी प्रमुख वरुणा नदी के तट पर रामेश्वर और शास्त्री घाट भी दीपों और रोशनी से दिन ढलने के साथ ही नहा उठा। एक अनुमान के मुताबिक गंगा तट पर 15 लाख से अधिक दीप जलाए जा रहे हैं। शाम होते ही 15 घाटों पर संगीत का कार्यक्रम भी प्रारंभ हो चुका है।
अनुपम छटा देखने उमड़ा जनसमूह
लाखों लोगों के कदम घाटों की ओर ऐसे बढ़ चले मानो मां गंगा की अनुपम और अनोखी छवि को लंबे समय के लिए लोग नजरों में कैद कर लेने को व्याकुल हों। रात गहराने के साथ ही घाटों पर रोशनी का सौंदर्य ऐसा सवार हुआ कि उसकी गंगा में बनने वाली छवियां लोगों के मन मस्तिष्क पर जादू बिखेरने लगीं। सूर्य अस्त होते ही माटी के दीपों में तेल की धार बह चली और रुई की बाती तर होते ही प्रकाशित होने को आतुर नजर आई। गोधूलि बेला के साथ ही एक-एक कर दीपों की अनगिन श्रृंखला पूर्णिमा के चांद की चांदनी को चुनौती देने के लिए बेकरार हो चले। दीपों की अनगिन कतारों से घाटों की अर्धचंद्राकार श्रृंखला दिन ढलते ही नहा उठी और मुख्य घाट पर आयोजन में शामिल उजाला मानो चंद्रहार में लॉकेट की भांति नदी के दूसरे छोर से प्रकाशित नजर आने लगा। वहीं गंगा तट के दूसरे किनारे पर भी गंगा की रेती में आस्था की मानो खेती ऐसी नजर आई कि इस छोर के बाद उस छोर पर भी तारे जमीन पर उतर आए हों।
दोपहर बाद ही घाट और गलियां पर्यटकों से पटीं
आस्था का रेला ऐसा कि देश विदेश से आने वाले सैलानियों से घाट गलियां और नदी शाम ढ़लने से पूर्व ही पटी नजर आने लगीं। जैसे जैसे भगवान भाष्कर अस्ताचलगामी हुए वैसे वैसे ही आस्था का रेला गंगा धार की ओर दीयों की रोशनी अर्पित करने स्वत: स्फूर्त भाव से बढ़ चला। भगवान शिव को समर्पित इस विशिष्ट आयोजन में काशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा अंचलों में मारकंडेय महादेव, तिलभांडेश्वर महादेव, सारंगनाथ महादेव, बीएचयू स्थित विश्वनाथ मंदिर और दुर्गाकुंड स्थित दुर्गा मंदिर में भी शाम होते ही असंख्य दीपों की लडियों ने प्रकाश पर्व के आयोजन को और गति दी। वहीं शिवाला घाट पर लेजर शो के आयोजन ने मानो देव दीवाली पर गंगा तट पर शमां बांध दिया।
प्रमुख घाटों पर आस्था का सैलाब दिखा
काशी के प्रमुख घाटों पर दोपहर बाद तीन बजे से ही आस्था का उफान ऐसा उमड़ा कि दिन ढलने तक हर-हर महादेव और हर-हर गंगे का उदघोष कर भीड़ का बहाव गंगा तट की ओर बढ़ चला। देखते ही देखते घाट पर पांव रखने की भी जगह मिलनी मुश्किल हुई तो लोगों ने दूसरे घाटों का रुख कर देव दीपावली के पर्व को विस्तार दिया। गंगा तट स्थित घाटों की श्रृंखला के क्रम में हर घाट पर अनोखे तरीके से हुई सजावट ने जहां लोगों का मन मोह लिया वहीं पंचगंगा घाट पर प्रकाशित होने वाला हजारा (हजार दीपों) का मंच भी अनोखे जल प्रकाश पर्व पर आभा बिखेरता नजर आया। काशी विश्वनाथ दरबार से लेकर सारनाथ स्थित सारंगनाथ मंदिर तक शाम होते ही दीयों से सजने लगा ताकि काशी के इस प्रकाश पर्व पर भगवान शिव को भी प्रकाश अर्पण कर पुण्य के भागी बन सकें।