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Sunday, June 22, 2025

दिल्ली : बायोडायवर्सिटी पार्क में नवनिर्मित वेटलैंड से यमुना प्रदूषित होने से बचाने में काफी सहायक होगा

दिल्ली में महारानीबाग के पास डीडीए के दक्षिणी दिल्ली बायोडायवर्सिटी पार्क में नवनिर्मित वेटलैंड (नम भूमि) यमुना को प्रदूषित होने से बचाने में काफी सहायक होगा। यह वेटलैंड यमुना में गिरने वाले गंदे पानी को शुद्ध करेगा। बता दें कि महारानीबाग नाले से रोजाना 250 से 500 एमएलडी सीवेज पानी यमुना में जाता है जो अब साफ हो सकेगा। जल्द ही इस योजना के तहत 11 अन्य वेटलैंट भी तैयार हो जाएंगे, जिसके बाद यमुना में गिरने वाले 25 बड़े नालों का पानी साफ किया जा सकेगा।

बता दें राजधानी के अरुणा आसिफ अली मार्ग पर स्थित डीडीए के नीला हौज बायोडायवर्सिटी पार्क में पहला वेटलैंड बनाया गया था। यहां पर पहले से एक एमएलडी सीवेज पानी का शुद्धिकरण किया जा रहा है। बतौर पॉयलट प्रोजेक्ट इसे जब शुरू गया था, तबसे इसके परिणाम काफी सकारात्मक हैं। इसी के बाद यमुना किनारे 12 वेटलैंड निर्मित करने की योजना बनी, जिसमें से महारानीबाग वेटलैंट अब शुरू हो चुका है।

बिजली का इस्तेमाल नहीं
महारानी बाग के पास वेटलैंड का निर्माण दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर एनवायरमेंटल मैनेजमेंट ऑफ डिग्रेडेड इकोसिस्टम्स में कार्यरत प्रोफेसर सीआर बाबू के नेतृत्व में किया गया है। यमुना में गिरने वाले नाले के पानी को साफ करने की यह प्रक्रिया पूरी तरह प्राकृतिक है। इसमें बिजली या किसी मशीन के इस्तेमाल की जरूरत नहीं है। इससे डिजर्टेंट सहित तमाम हानिकारक केमिकल भी फिल्टर हो जाते हैं। यह यमुना की सफाई में काफी कारगर है।

एसटीपी से कम लागत
प्रो. सीआर बाबू के अनुसार, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में प्रतिदिन एक मिलियन लीटर (एमएलडी) सीवेज साफ करने का खर्च करीब पांच करोड़ है, जबकि वेटलैंड के माध्मय से यह खर्च काफी कम हो जाता है। यही नहीं, इसकी देखरेख का खर्च भी बहुत कम है।

15 से 20 एमएलडी सीवेज शुद्ध होगा
यमुना बायोडावर्सिटी पार्क के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. फैय्याज ए खुदसर बताते हैं कि 25 बड़े नाले रोजाना यमुना में करीब 1500 मिलियन लीटर सीवेज गिराते हैं। ये नाले किलोकरी व बटला हाउस के बीच तीन किलोमीटर में फैले हैं। इनमें महारानीबाग का नाला सबसे बड़ा है जो रोजाना 250 से 500 एमएलडी सीवेज यमुना में ले जाता है। इन सभी नालों के सीवेज को वेटलैंड के माध्यम से शुद्ध करना है। इनमें से पहले वेटलैंड का निर्माण कालिंदी कॉलोनी के निकट सफलतापूर्वक कर लिया गया है। यह लगभग 15-20 एमएलडी सीवेज का शुद्धिकरण करने में सक्षम है।

इस तरह काम करता है वेटलैंड
डॉ. फैय्याज ए खुदसर बताते हैं कि वेटलैंड के तहत ऑक्सीडेशन तालाब और नाला का निर्माण किया जाता है। नाले में जाली में बोल्डर भरकर डाले जाते हैं जो पानी के फिजिकल फिल्टर का काम करते हैं। यह पानी में ऑक्सीजन भी बढ़ाता है। इससे बढ़ता हुआ सीवेज छोटे पत्थरों से बने ऊंची और नीची जगहों से होकर गुजरता है। इन नीची जगहों में पौधे लगे होते हैं, जो आर्गेनिक पदार्थों को सूक्ष्म जीवाणुओं की मदद से समाप्त कर देते हैं। अंतत: सीवेज ही साफ नहीं होता, बल्कि बॉयलोजिकल आक्सीजन डिजाल्व (बीओडी) भी कम हो जाता है और घुलनशील ऑक्सीजन बढ़ जाती है। यह सबकुछ डीडीए के साउथ दिल्ली बायोडावर्सिटी पार्क में किया गया है। ऑक्सीडेशन तालाब में पानी को और साफ करने के लिए वेटलैंड में टाइफा, फ्रेगमाइटिस, साइप्रस, आइपोमिया, अल्टरनेथेरा समेत 25 तरह के जलीय पौधे लगाए गए हैं। ये पौधे पानी में मौजूद हानिकारक तत्वों को अवशोषित कर लेते हैं और पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाते हैं। चैनल से निकलकर पानी वेटलैंड होते हुए यमुना तक पहुंचता है। यहां पर एक रिंग वेटलैंड भी बनाया गया है, जिसके अंदर कई छोटे-छोटे वेटलैंड हैं।

25 हजार से अधिक पौधे
महारानीबाग के पास निर्मित वेटलैंड पर 25 हजार से ज्यादा पौधे लगाए जा चुके हैं। हरियाली बढ़ने से पार्क में करीब 100 प्रजातियों के नए पक्षी आने की उम्मीद है। पानी साफ होगा तो यमुना से लुप्त हो चुकी मछलियों के भी फिर से आने की संभावना है। शेष 11 वेटलैंड का काम भी 50 फीसदी पूरा हो गया है। छह माह में ये सब भी काम करना शुरू कर देंगे, तब महारानीबाग नाले समेत कुल 25 बड़े नालों का पानी भी साफ होकर यमुना में जाएगा।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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