कोविड-19 वायरस ने जैसे ही देश में फैलना शुरू किया कि केंद्र सरकार ने 23 मार्च को लॉकडाउन लगा दिया। मार्च से लेकर सितम्बर तक तमाम खबरें आयीं, जिनमें दावा किया गया कि देश में लोगों का रोजगार छिन गया, नौकरियां चली गईं, जबकि अगर कर्मचारी भविष्य निधि में नये पंजीकरण के आंकड़ों पर नज़र डालें तो आप पायेंगे कि लॉकडाउन के दौरान नई नौकरियों का ग्राफ नीचे नहीं बल्कि ऊपर उठा है। लॉकडाउन के दौरान असंगठित क्षेत्र में तमाम लोगों का रोजगार छिना, जिनके लिए केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत तमाम योजनाएं शुरू कीं, लेकिन लेकिन यह भी सही है कि संगठित क्षेत्र में नई नौकरियां बढ़ी हैं।
किसी भी देश में विकास के पैमाने में रोजगार और नौकरी को एक बड़ा मानक माना जाता है यह तय करने के लिए कि विकास की रफ्तार कैसी है। बात अगर नौकरियों की करें तो पिछले तीन वर्षों में भारत में 3.77 करोड़ लोगों को स्थाई नौकरी मिली है। सांख्यकी मंत्रालय की ईपीएफ के नए आंकड़े बताते हैं की लॉक डाउन के दौरान भारत की अर्थ व्यवस्था गीति नहीं है बल्कि संभाली है | रिपोर्ट के मुताबिक ईसीआई सब्सक्राइबर में पिछले तीन वर्षों में 4.4 करोड़ की बड़ी वृद्धि हुई है। वहीं नेशनल पेंशन स्कीम में सितम्बर 2017 से अक्टूबर 2020 के बीच 22,53,686 लोग जुड़े।
रोजगार के आंकड़े
देश में रोजगार कितना बढ़ा कितना घटा इसका एक मानक कर्मचारी भविष्य निधि मतलब इम्प्लॉई प्रॉविडेंट फंड (ईपीएफ) और इम्प्लॉई स्टेट इंश्योरेंस स्कीम भी हैं। इनकी गणना के आधार पर यह पता लगाया जाता है कि कितने लोगों को स्थाई रोजगार मिला। नियम के अनुसार 20 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को ईपीएफ देना अनिवार्य होता है। वहीं 10 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को ईएसआई में पंजीकरण कराना अनिवार्य है।
पिछले तीन वर्षों की बात करें तो देश भर में सितम्बर 2017 से अक्टूबर 2020 तक ईपीएफ में कुल 3,77,53,459 नए पंजीकरण हुए। अगर प्रत्येक वर्ष पर नज़र डालें तो सितम्बर 2017 से मार्च 2018 तक कुल 84,57,404 नए लोगों का ईपीएफ अकाउंट खुला, जिनमें 69,23,343 पुरुष, 15,32,496 महिलाएं और 1,565 थर्ड जेंडर के लोग शामिल हैं। वहीं अप्रैल 2018 से मार्च 2019 के बीच 1,39,44,349 नए पंजीकरण हुए जिनमें 1,10,20,080 पुरुष, 29,23,962 महिलाएं और 305 थर्ड जेंडर के लोग हैं। अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक 1,10,40,683 नए ईपीएफ खाते खुले, जिनमें 85,18,567 पुरुष, 25,20,661 महिलाएं और 274 थर्ड जेंडर के लोग हैं।
लॉकडाउन के दौरान खोले गए नए ईपीएफ अकाउंट की संख्या :
अप्रैल में 1,88,869
मई में 3,21,601
जून में 5,64,327
जुलाई में 6,75,830
अगस्त में 7,35,180
सितम्बर में 11,09,958
अक्टूबर में 7,15,258
ऐसे लोग जिनका नौकरी जाने या अन्य कारणों से पीएफ अकाउंट अपडेट होना बंद हो गया था, लॉकडाउन के दौरान नई नौकरी मिलने पर उनका अकाउंट पुन: चालू हुआ। ऐसे लोगों की संख्या इस प्रकार है:
अप्रैल में 2,96,851
मई में 3,69,482
जून में 5,85,258
जुलाई में 6,82,641
अगस्त में 6,90,055
सितम्बर में 7,87,519
अक्टूबर में 6,79,801अप्रैल से अक्टूबर 2020 के बीच नए ईसीएस अकाउंट की संख्या
अप्रैल में 1,51,45,261
मई में 4,87,792
जून में 8,27,254
जुलाई में 7,61,670
अगस्त में 9,47,861
सितम्बर में 11,49,307
अक्टूबर में 11,75,89
3 साल में 4.4 करोड़ ईएसआईएस अकाउंट
ईएसआईएस अकाउंट जो आम तौर पर फैक्ट्री व छोटी फर्म में दिया जाता है, में भी अच्छा उछाल देखने को मिला है। सितम्बर 2017 से अक्टूबर 2020 तक कुल 4,40,59,863 नए लोग ईएसआई स्कीम से जुड़े। सितम्बर 2017 से मार्च 2018 के बीच 83,35,929, अप्रैल 2018 से माच 2019 तक 1,49,65,972 और अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक 1,51,45,261 लोगों के नए ईएसआईएस अकाउंट खोले गए।
ये सभी आंकड़े , अर्थ व्यवस्था और रोजगार दोनों के लिहाज़ से भारत सरकार के लिए सुकून भरा है | जिसको देखते हुए आत्म्नित्भर भारत ककसपान जो भारत ने देखा है उस लिहाज़ से मिल का पत्थर मन जा सकता है |