सिद्धार्थनगर, 4 अप्रैल 2025, शुक्रवार। वासंती नवरात्र की सप्तमी तिथि पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज में एक ऐतिहासिक कदम उठाया। वैदिक मंत्रोच्चार और मां महाकाली की आराधना के बीच उन्होंने गुरु गोरक्षनाथ ज्ञानस्थली का उद्घाटन किया। यह सिर्फ एक शिक्षण संस्थान की शुरुआत नहीं, बल्कि भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा और आधुनिक प्रगति के संगम का प्रतीक है। इस मौके पर सीएम योगी ने कहा, “यह पावन धरा दुनिया को करुणा और मैत्री का संदेश देती है। भारत ने कभी तलवार के बल पर शासन नहीं किया, बल्कि ज्ञान और सौहार्द से दुनिया को जोड़ा है।”
सनातन परंपरा और ज्ञान की महिमा
मुख्यमंत्री ने उद्घाटन समारोह में सनातन धर्म की महानता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “हमारी परंपरा ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ से शुरू होती है। आज नवरात्र की सप्तमी है, जो महाकाली को समर्पित है। यह शक्ति और ज्ञान का संगम है।” वेदों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “आनो भद्रा क्रतवो यन्तु विश्वतः—चारों ओर से आने वाली ज्ञान की धारा को ग्रहण करना ही प्रगति का मार्ग है।” योगी ने समाज के प्रबुद्ध वर्ग से इस दिशा में सक्रिय रहने की अपील की और गुरु गोरक्षनाथ ज्ञानस्थली को भारत की ज्ञान परंपरा की नई मशाल बताया।
भारत का नया युग: पिछलग्गू से महाशक्ति तक
सीएम योगी ने सिद्धार्थनगर के बदलते चेहरे का जिक्र करते हुए कहा कि 2008 में यहां अराजकता और असुरक्षा का माहौल था। “बेटियां और व्यापारी डर में जीते थे। विकास और शिक्षा उस वक्त की सरकारों के एजेंडे में नहीं थे। लेकिन पिछले 10 सालों में भारत ने जबरदस्त बदलाव देखा है।” उन्होंने गर्व से कहा कि आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्द ही तीसरे स्थान पर होगा। “यह नया भारत अब किसी का पिछलग्गू नहीं, बल्कि अपनी ताकत और सौहार्द से दुनिया को रास्ता दिखा रहा है। हम न आधिपत्य थोपते हैं, न स्वीकार करते हैं।”
पीएम मोदी के नेतृत्व में विरासत और विकास का संगम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए योगी ने कहा कि उनके नेतृत्व में देश ने विरासत और विकास का बेजोड़ समन्वय देखा है। “अयोध्या में 500 साल बाद राम मंदिर बना। महाकुंभ में 66 करोड़ श्रद्धालुओं ने सनातन धर्म का सामर्थ्य दिखाया। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, मथुरा-वृंदावन और प्रयागराज का कायाकल्प इसकी मिसाल है।” उन्होंने कहा कि 2014 से पहले कुछ लोग राम और कृष्ण को मिथक बताते थे, लेकिन आज भारत अपनी सांस्कृतिक धरोहर पर गर्व कर रहा है।
भारत की शांतिपूर्ण परंपरा का गौरव
योगी ने भारत की शांतिपूर्ण परंपरा का उदाहरण देते हुए कहा, “राम ने लंका जीती, लेकिन विभीषण को सौंप दी। किष्किंधा में सुग्रीव का राज्याभिषेक किया और दंडकारण्य में ऋषियों को सुख दिया। यह हमारी परंपरा है।” सिद्धार्थनगर के बौद्ध इतिहास को याद करते हुए उन्होंने कहा, “यहां राजकुमार सिद्धार्थ बुद्ध बने। बौद्ध धर्म ने करुणा और मैत्री से दुनिया को जोड़ा, तलवार से नहीं।”
शिक्षा में क्रांति: वेदों से लेकर मातृभाषा तक
सीएम ने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा को समझने के लिए वेदों और उपनिषदों की ओर देखना होगा। “आधुनिक विज्ञान जहां नहीं पहुंचा, वहां उपनिषद मार्ग दिखाते हैं।” राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत मातृभाषा में शिक्षा को उन्होंने क्रांतिकारी बताया। “18 अटल आवासीय विद्यालय, 57 जनपदों में मुख्यमंत्री कम्पोजिट स्कूल और कस्तूरबा विद्यालयों का उन्नयन इसका प्रमाण है।”
गुरु गोरक्षनाथ ज्ञानस्थली: एक नई रोशनी
गुरु गोरक्षनाथ ज्ञानस्थली के पहले सत्र में 150 छात्रों ने पंजीकरण कराया है। योगी ने कहा, “यह केंद्र राष्ट्रीयता, संस्कार और मातृभूमि की परंपराओं से जुड़ी शिक्षा का प्रतीक बनेगा। नवरात्र के इस पावन अवसर पर शुरू हुआ यह संस्थान पूरे क्षेत्र को आलोकित करेगा।” उन्होंने इसे एक बड़े शिक्षण केंद्र के रूप में विकसित होने की उम्मीद जताई।
एक संदेश, एक संकल्प
इस उद्घाटन के साथ योगी ने साफ कर दिया कि नया भारत अपनी जड़ों से जुड़कर ही आगे बढ़ेगा। सिद्धार्थनगर की यह पावन धरती अब ज्ञान और करुणा का नया केंद्र बनेगी। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कविता शाह, जिला पंचायत अध्यक्ष शीतल सिंह, और कई गणमान्य मौजूद रहे। यह दिन न सिर्फ सिद्धार्थनगर, बल्कि पूरे देश के लिए एक नई प्रेरणा का प्रतीक बन गया।
गुरु गोरक्षनाथ ज्ञानस्थली सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि भारत के गौरवशाली अतीत और उज्ज्वल भविष्य का संगम है। यह संदेश है कि जब हम अपनी विरासत को अपनाते हैं, तो दुनिया हमारा सम्मान करती है।