लखनऊ, 2 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अवैध खनन, परिवहन और भंडारण पर लगाम कसने के लिए तकनीक का सहारा लेते हुए अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। प्रदेश में अवैध खनन के खिलाफ चलाए जा रहे इस मेगा अभियान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ड्रोन और सैटेलाइट तकनीक का उपयोग कर खनन माफिया की कमर तोड़ दी गई है। अब तक 21,477 वाहनों को अवैध परिवहन के लिए ब्लैक लिस्टेड किया जा चुका है।
AI और IoT से लैस चेकगेट्स, ओवरलोडिंग पर सख्ती
प्रदेश में 57 AI और IoT आधारित चेकगेट्स स्थापित किए गए हैं, जो खनन से जुड़े वाहनों पर पैनी नजर रख रहे हैं। परिवहन विभाग के सहयोग से वेट-इन-मोशन तकनीक के जरिए ओवरलोडिंग पर अंकुश लगाया जा रहा है। इन चेकगेट्स ने अवैध परिवहन को पकड़ने में अहम भूमिका निभाई है।
सैटेलाइट और ड्रोन से खनन की निगरानी
भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग ने गूगल अर्थ, Arc-GIS और LISS-IV सैटेलाइट डेटा का उपयोग कर अवैध खनन की पहचान तेज कर दी है। साथ ही, नए खनिज समृद्ध क्षेत्रों की खोज भी की जा रही है। विभाग की रिमोट सेंसिंग प्रयोगशाला (पीजीआरएस लैब) भूवैज्ञानिक मानचित्र तैयार कर रही है और स्वीकृत खनन पट्टों की कड़ी निगरानी कर रही है। ड्रोन तकनीक से खनन क्षेत्रों का वॉल्यूमेट्रिक विश्लेषण किया जा रहा है, जिससे खनन की मात्रा का सटीक आकलन संभव हो रहा है। ड्रोन की मदद से खनन योग्य क्षेत्रों का चिह्नांकन और भंडारित खनिजों की जांच भी की जा रही है।
AIS140 जीपीएस से रियल-टाइम ट्रैकिंग
खनन परिवहन में शामिल वाहनों पर AIS140 कॉम्पैटिबल जीपीएस उपकरण लगाए जा रहे हैं, जिन्हें विभागीय वाहन ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) से जोड़ा जाएगा। यह सिस्टम रियल-टाइम ट्रैकिंग, रूट डेविएशन अलर्ट और MIS रिपोर्ट्स के जरिए अवैध परिवहन पर प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित करेगा। पहली बार परिवहनकर्ताओं को हितधारक बनाते हुए उनका पंजीकरण भी शुरू किया गया है।
खनन माफिया पर नकेल, सुशासन को बढ़ावा
योगी सरकार की इन पहलों ने खनन क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत किया है। समय-समय पर पट्टों की जांच और तकनीकी निगरानी से अवैध खनन पर प्रभावी अंकुश लगा है। यह अभियान न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि खनन माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सुशासन को भी मजबूती दे रहा है।
योगी सरकार की यह तकनीकी पहल और सख्ती न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकती है। खनन क्षेत्र में सुधार और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।