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Thursday, June 19, 2025

योगी सरकार का सख्त फैसला: अवैध बूचड़खानों पर ताला, धार्मिक स्थलों के पास मांस बिक्री पर रोक

लखनऊ, 29 मार्च 2025, शनिवार। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एक बार फिर अपनी कठोर नीतियों से सुर्खियां बटोरी हैं। इस बार निशाने पर हैं अवैध बूचड़खाने और धार्मिक स्थलों के आसपास मांस की बिक्री। सरकार ने साफ-साफ आदेश जारी किया है कि राज्य में कोई भी अवैध बूचड़खाना नहीं चलेगा और धार्मिक स्थलों से 500 मीटर के दायरे में मांस बेचने की मनाही होगी। इस फैसले को लागू करने की जिम्मेदारी नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने संभाली है, जिन्होंने सभी जिलाधिकारियों, पुलिस आयुक्तों और नगर आयुक्तों को तुरंत एक्शन लेने के निर्देश दिए हैं।

पुराने नियमों की वापसी, नई ताकत के साथ

योगी सरकार ने अपने इस कदम को मजबूती देने के लिए 2017 में जारी पुराने आदेशों को फिर से लागू किया है। इन नियमों के तहत न सिर्फ अवैध पशु वध पर पूरी तरह रोक लगेगी, बल्कि धार्मिक स्थानों के पास मांस की बिक्री को भी सख्ती से रोका जाएगा। इस नीति को जमीन पर उतारने के लिए हर जिले में एक खास समिति बनाई गई है, जिसकी कमान जिलाधिकारियों के हाथों में होगी। इस समिति में पुलिस से लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पशुपालन, परिवहन, श्रम, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा विभाग तक के अधिकारी शामिल होंगे। मतलब साफ है—कोई ढील नहीं, कोई बहाना नहीं।

राम नवमी पर खास सतर्कता

इसके साथ ही, सरकार ने राम नवमी के मौके पर और सख्ती बरतने का प्लान बनाया है। 6 अप्रैल 2025 को पड़ने वाली राम नवमी के दिन पूरे प्रदेश में पशु वध और मांस की बिक्री पर पूरी तरह पाबंदी रहेगी। यह फैसला न सिर्फ धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने के लिए है, बल्कि कानून-व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने का भी एक हिस्सा है। यूपी नगर निगम अधिनियम 1959 और खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 व 2011 के नियमों के तहत, उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा।

क्या है मकसद?

योगी सरकार का यह कदम न सिर्फ अवैध कारोबार पर लगाम लगाने की कोशिश है, बल्कि धार्मिक संवेदनशीलता और स्वच्छता को भी बढ़ावा देने का एक तरीका है। अधिकारियों को साफ हिदायत दी गई है कि नियम तोड़ने वालों को बख्शा न जाए। यह फैसला जहाँ एक ओर समर्थकों के लिए सरकार की दृढ़ता का प्रतीक है, वहीं आलोचकों के लिए बहस का नया मुद्दा बन सकता है। लेकिन एक बात तय है—उत्तर प्रदेश में अब नियमों की अनदेखी करना आसान नहीं होगा।

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