नई दिल्ली, 20 मार्च 2025, गुरुवार। उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश को एक बड़े भ्रष्टाचार मामले में निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भ्रष्टाचार के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” की नीति के तहत की गई है, जिसने प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में व्यापक चर्चा पैदा की है। इस घटना ने भ्रष्ट अधिकारियों के बीच हड़कंप मचा दिया है, और कई लोग इसे योगी सरकार की सख्त नीतियों का परिणाम मान रहे हैं।
अभिषेक प्रकाश का निलंबन और भ्रष्टाचार का आरोप
अभिषेक प्रकाश, जो 2006 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं, वर्तमान में उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास विभाग के सचिव और इन्वेस्ट यूपी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के पद पर तैनात थे। उनके खिलाफ आरोप है कि उन्होंने एक उद्योगपति से सोलर प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए पांच प्रतिशत कमीशन की मांग की थी। इस प्रोजेक्ट के लिए उद्योगपति ने इन्वेस्ट यूपी पोर्टल के माध्यम से आवेदन किया था, लेकिन अभिषेक प्रकाश ने कथित तौर पर फाइल को रोक दिया और कमीशन के लिए दबाव बनाया।
उद्योगपति ने इसकी शिकायत सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाई। शिकायत के बाद, योगी सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए मामले की जांच विशेष कार्य बल (एसटीएफ) को सौंपी। जांच में आरोपों की पुष्टि होने पर अभिषेक प्रकाश को 20 मार्च को निलंबित कर दिया गया। इसके साथ ही, इस मामले में मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले निकांत जैन को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया। निकांत जैन पर आरोप है कि उन्होंने अभिषेक प्रकाश के इशारे पर उद्योगपति से कमीशन की मांग की थी। गोमती नगर थाने में निकांत जैन के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्रवाई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में गोपनीय जांच का आदेश दिया था। सूत्रों के अनुसार, जांच कमेटी की रिपोर्ट मिलते ही सीएम ने त्वरित कार्रवाई की। 20 मार्च को सुबह गोंडा और बलरामपुर के दौरे से पहले, योगी ने मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचिव नियुक्ति एम. देवराज, और अपने अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल के साथ बैठक की। इस बैठक में उद्योगपति की शिकायत पर चर्चा हुई, जिसमें निकांत जैन द्वारा पांच प्रतिशत कमीशन और अग्रिम भुगतान की मांग का उल्लेख था। सीएम ने स्पष्ट निर्देश दिए कि भ्रष्टाचार में संलिप्त किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कितने भी बड़े पद पर हो। इसके बाद अभिषेक प्रकाश के निलंबन का आदेश जारी किया गया।
योगी सरकार ने यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि निवेशकों की समस्याओं का तुरंत समाधान हो और बिचौलियों की भूमिका को खत्म किया जाए। यह कार्रवाई योगी आदित्यनाथ की उस नीति का हिस्सा है, जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का वादा किया था।
डिफेंस कॉरिडोर घोटाले से भी जुड़ाव
अभिषेक प्रकाश पर केवल सोलर प्रोजेक्ट मामला ही नहीं, बल्कि लखनऊ के सरोजनीनगर क्षेत्र में डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण में भ्रष्टाचार के भी आरोप हैं। जब वे लखनऊ के जिलाधिकारी थे, तब भटगांव गांव में जमीन अधिग्रहण के दौरान मुआवजे में अनियमितताएं सामने आई थीं। जांच में पाया गया कि पट्टे की असंक्रमणीय जमीन को पहले संक्रमणीय बनाया गया और फिर सस्ते दामों पर बेचा गया। इस मामले की जांच राजस्व परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष रजनीश दुबे ने की थी, जिसमें अभिषेक प्रकाश सहित कई अधिकारियों को दोषी ठहराया गया था। हालांकि, सोलर प्रोजेक्ट मामला उनके निलंबन का तात्कालिक कारण बना।
अभिषेक प्रकाश का करियर और पृष्ठभूमि
अभिषेक प्रकाश का जन्म 1982 में बिहार के सीवान जिले के जीरोदेई गांव में हुआ था। उन्होंने आईआईटी रुड़की से 2000-2004 के बीच इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और बाद में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन व पब्लिक पॉलिसी में एमए किया। 2005 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में उनकी ऑल इंडिया आठवीं रैंक थी, जिसके बाद 2006 में वे आईएएस बने। अपने करियर में उन्होंने लखीमपुर खीरी, बरेली, अलीगढ़, हमीरपुर और लखनऊ जैसे जिलों में जिलाधिकारी के रूप में कार्य किया। लखनऊ में वे लंबे समय तक डीएम रहे और सरकार के करीबी अधिकारियों में गिने जाते थे।
वर्तमान स्थिति और प्रभाव
निलंबन के बाद अभिषेक प्रकाश के ठिकाने के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि वे “अंडरग्राउंड” हो गए हैं और किसी के संपर्क में नहीं हैं, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। उनके खिलाफ पुलिस और प्रशासनिक जांच जारी है, और आगे की कार्रवाई जांच के नतीजों पर निर्भर करेगी। इस घटना ने उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मचा दिया है। कई अधिकारी अब अपनी गतिविधियों को लेकर सतर्क हो गए हैं, और इसे “कमीशनखोरों के लिए सबक” माना जा रहा है। सोशल मीडिया पर भी इस कार्रवाई की खूब चर्चा हो रही है, जहां लोग योगी सरकार की सख्ती की तारीफ कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा प्रहार: अभिषेक प्रकाश का निलंबन और निकांत जैन की गिरफ्तारी
अभिषेक प्रकाश का निलंबन और निकांत जैन की गिरफ्तारी उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह मामला न केवल एक वरिष्ठ अधिकारी की गलतियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि भ्रष्टाचार में संलिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। जांच अभी जारी है, और आने वाले दिनों में इस मामले में और खुलासे हो सकते हैं। यह घटना निश्चित रूप से राज्य के प्रशासनिक ढांचे में सुधार और पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।