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Saturday, April 19, 2025

बंगाल हिंसा पर योगी आदित्यनाथ का तीखा प्रहार: ममता बनर्जी पर साधा निशाना

लखनऊ, 15 अप्रैल 2025, मंगलवार। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुई हिंसा को लेकर तीखा बयान दिया है, जिसने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। अपने बेबाक अंदाज के लिए मशहूर योगी ने बंगाल की स्थिति पर चिंता जताते हुए वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “बंगाल जल रहा है, और वहां की मुख्यमंत्री खामोश हैं। सेक्युलरिज्म के नाम पर दंगाइयों को खुली छूट दे दी गई है।” योगी ने यह भी जोड़ा कि “लातों के भूत बातों से नहीं मानते, दंगाई डंडे से ही सुधरेंगे।” यह बयान न केवल उनकी कठोर रुख को दर्शाता है, बल्कि बंगाल की कानून-व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

बंगाल में हिंसा: क्या है पूरा मामला?

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद, मालदा, और अन्य जिलों में हाल ही में वक्फ (संशोधन) विधेयक के विरोध में हिंसक प्रदर्शन देखने को मिले। इन प्रदर्शनों के दौरान पुलिस वाहनों में आगजनी, पथराव, और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं सामने आईं। पुलिस ने अब तक सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया है, लेकिन स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है। इस हिंसा को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है।

योगी आदित्यनाथ ने अपने बयान में बंगाल की हिंसा को एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें वक्फ कानून के नाम पर लोगों को भड़का रही हैं, जिसका खामियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने ममता बनर्जी पर तंज कसते हुए कहा कि उनकी चुप्पी हिंसा को और बढ़ावा दे रही है। योगी का यह बयान बीजेपी की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें वह बंगाल में टीएमसी सरकार को कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रही है।

“लातों के भूत” और योगी का कड़ा रुख

योगी आदित्यनाथ का “लातों के भूत” वाला बयान उनके सख्त प्रशासनिक तेवर को दर्शाता है। उत्तर प्रदेश में अपराध और दंगों पर उनकी जीरो-टॉलरेंस नीति ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत नेता की छवि दी है। बंगाल हिंसा पर उनकी यह टिप्पणी न केवल दंगाइयों के लिए चेतावनी है, बल्कि ममता बनर्जी की सरकार को भी कठघरे में खड़ा करती है। योगी ने अप्रत्यक्ष रूप से यह संदेश देने की कोशिश की है कि अगर बंगाल सरकार स्थिति को नियंत्रित करने में नाकाम रहती है, तो केंद्र को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि “जिसे बांग्लादेश पसंद है, वह बांग्लादेश जाए।” यह बयान बंगाल में अवैध घुसपैठ के मुद्दे को फिर से उठाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, जो बीजेपी का पुराना सियासी हथियार रहा है। योगी के इस बयान ने जहां बीजेपी समर्थकों में जोश भरा, वहीं विपक्षी दलों ने इसे भड़काऊ करार दिया।

ममता बनर्जी का जवाब और सियासी तनाव

ममता बनर्जी ने इस हिंसा को लेकर कहा है कि वक्फ कानून केंद्र सरकार ने बनाया है, और इसके लिए जवाबदेही भी केंद्र की है। उन्होंने यह भी दोहराया कि बंगाल में वक्फ कानून लागू नहीं होगा। हालांकि, बीजेपी का आरोप है कि ममता की यह रणनीति धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे रही है। बीजेपी नेताओं का दावा है कि ममता अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की राजनीति कर रही हैं, जिसके चलते हिंसा को और हवा मिल रही है।

राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने भी इस मामले में ममता से कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है, जिससे साफ है कि बंगाल की स्थिति अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन चुकी है। योगी आदित्यनाथ का बयान इस सियासी जंग को और तेज करने वाला साबित हो सकता है, खासकर तब जब 2026 में बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं।

क्या है वक्फ (संशोधन) विधेयक?

वक्फ (संशोधन) विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को और पारदर्शी बनाना है। केंद्र सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ बोर्ड में सुधार लाएगा और गरीबों को लाभ पहुंचाएगा। हालांकि, विपक्षी दल इसे धार्मिक स्वायत्तता पर हमला बता रहे हैं। बंगाल में इस विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुके हैं, जिसने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है।

योगी का बयान: सियासत या समाधान?

योगी आदित्यनाथ का यह बयान एक तरफ जहां बंगाल की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाता है, वहीं दूसरी ओर इसे सियासी रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। बंगाल में बीजेपी लगातार अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश में है, और योगी जैसे दिग्गज नेताओं के बयान पार्टी के हिंदू वोट बैंक को एकजुट करने का काम कर सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस तरह के बयान हिंसा को शांत करने में मदद करेंगे, या फिर ध्रुवीकरण को और गहरा करेंगे? कुछ आलोचकों का मानना है कि योगी का बयान भड़काऊ हो सकता है, क्योंकि यह हिंसा को और उकसा सकता है। वहीं, उनके समर्थक इसे एक साहसिक कदम मानते हैं, जो बंगाल में बिगड़ती स्थिति को उजागर करता है।

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