12.1 C
Delhi
Wednesday, December 18, 2024

योगी आदित्यनाथ का बड़ा हमला: कांग्रेस ने चोरी-चुपके से संविधान में जोड़े ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द!

लखनऊ, 26 नवंबर 2024, मंगलवार। सुप्रीम कोर्ट द्वारा संविधान में ‘सेक्युलर’ शब्द के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करने के बाद, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में एक कार्यक्रम में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के संविधान में “दो शब्द” सेक्युलर और सोशलिस्ट शामिल नहीं थे, लेकिन कांग्रेस ने चोरी-चुपके से इन शब्दों को जोड़ दिया।
योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि संविधान के मूल सिद्धांतों को समझने के लिए हमें इसके इतिहास और पृष्ठभूमि को समझना होगा। उन्होंने कहा कि संविधान के निर्माताओं ने इसकी मूल आत्मा को संरक्षित करने के लिए कड़ी मेहनत की थी। इस अवसर पर, योगी आदित्यनाथ ने संविधान के प्रति सम्मान और समर्थन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें संविधान के मूल सिद्धांतों को बनाए रखने और इसकी मूल आत्मा को संरक्षित करने के लिए एकजुट होना चाहिए।
सेक्युलर शब्द का असली अर्थ क्या है? जानें इसकी उत्पत्ति और महत्व!
सेक्युलर शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा से हुई है, जिसमें इसका मूल अर्थ है – किसी भी धर्म के प्रति तटस्थ रहने वाला। यह शब्द लेटिन के saeculum से बना है, जिसका अर्थ है अनंत और सार्थक जीवन। क्रिश्चियन धर्म में इसे ईश्वर से जोड़ा जाता है, जो समय के बाद भी रहते हैं। एक सेक्युलर व्यक्ति वह होता है जो किसी भी धर्म विशेष के लिए झुकाव या रंजिश नहीं रखता। वह सभी धर्मों के प्रति सम्मान और सहिष्णुता रखता है। सेक्युलर शब्द का अर्थ है धर्मनिरपेक्षता, जो एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें राज्य और धर्म अलग-अलग होते हैं।
सेक्युलर शब्द का अर्थ अक्सर गलत समझा जाता है। यह शब्द भगवान के होने से इनकार करने वाले व्यक्ति को नहीं दर्शाता है, बल्कि यह धर्मनिरपेक्षता की भावना को प्रकट करता है। विशेषज्ञों और दार्शनिकों का मानना है कि सेक्युलर शब्द का अर्थ एंटी-रिलिजियस नहीं है, बल्कि यह रिलीजियसली-न्यूट्रल होने को दर्शाता है। इसका मतलब है कि सेक्युलर व्यक्ति किसी भी धर्म के प्रति उदासीनता रखता है, न कि धर्म के विरोध में।
सेक्युलर शब्द: राजनीति का हथियार या संविधान की आत्मा?
सेक्युलर शब्द की उत्पत्ति पश्चिम और क्रिश्चियनिटी से हुई है, जिस कारण दूसरे धर्मों में इसके लिए अलग से कोई शब्द नहीं है। इसका सबसे ज्यादा उपयोग राजनीति में किया जा रहा है, साथ ही हायर स्टडीज में भी इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। भारतीय राजनीति में सेक्युलर शब्द को लेकर अक्सर पार्टियां आमने-सामने आती रही हैं। महाराष्ट्र में भी इसे लेकर घमासान मचा है, और इससे पहले भी भारतीय संविधान से इसे हटाने की बात आ चुकी है। वाजपेयी सरकार ने 1998 में संविधान की समीक्षा के लिए कमेटी बनाई थी, जिसका विरोध हुआ था कि यह संविधान के मूल ढांचे को प्रभावित करने की कोशिश है। हालांकि ये शब्द संविधान की मूल प्रस्तावना में होने के कारण इससे छेड़छाड़ नहीं हो सकी। असल में संसद के पास संविधान को संशोधित करने की शक्ति तो है, लेकिन तभी तक, जब तक कि संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर को न बदला गया हो।
संविधान निर्माण के दौरान सेक्युलर शब्द पर क्यों हुआ था विवाद?
भारतीय संविधान के निर्माण के दौरान, सेक्युलर शब्द को शामिल करने पर काफी विवाद हुआ था। अधिकांश नेता इस शब्द को जोड़ने के खिलाफ थे, जिसमें संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर भी शामिल थे। कई नेताओं ने तर्क दिया कि सेक्युलर शब्द को शामिल करने से यह मान लिया जाएगा कि धर्म की हमारे जीवन में कोई जगह नहीं है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि सेक्युलर शब्द को शामिल करने से संविधान में धर्म से जुड़े सारे मूल अधिकारों को गायब कर दिया जाएगा। इन विवादों के कारण, संविधान निर्माण के दौरान सेक्युलर शब्द को शामिल नहीं किया गया था। हालांकि, बाद में 1976 में 42वें संविधान संशोधन के माध्यम से इसे संविधान में शामिल किया गया था।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »