विवेक शुक्ला
वरिष्ठ लेखक और स्तंभकार
विश्व योग दिवस पर आज सारे देश और दुनिया में योग किया जा रहा है। सारा माहौल योगमय है। उधर साउथ दिल्ली के फ्रेंड्स कॉलोनी के ए ब्लॉक के एक कभी खास रहे बंगले के आसपास सन्नाटा पसरा हुआ है। एक दौर में यहां पर योग गुरु धीरेंद्र ब्रहमचारी रहा करते थे। उनका व्यक्तित्व चुंबकीय था। लंबे कद और काले केश वाले धीरेद्र ब्रह्मचारी का कसरती बदन था। उन्हें देखकर कोई भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता था। उन्होंने अपने शरीर को देखने लायक बना रखा था। उनकी कोठी के बाहर उनकी नेम प्लेट पर हिंदी में ‘धीरेन्द्र ब्रहमचारी’ लिखा हुआ था। देश में 1875 में आपातकाल लगने के दौरान, उनका प्रभाव चरम पर था। उन पर सत्ता के दुरुपयोग के कई आरोप लगे।
धीरेन्द्र ब्रहमचारी 1958 में मधुबनी, बिहार से दिल्ली आ गए थे। वे गजब के महत्वाकांक्षी शख्स थे। उनके प्रारंभिक जीवन के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह ज्ञात है कि उन्होंने कम उम्र में ही योग और ध्यान का अभ्यास शुरू कर दिया था। उन्होंने स्वामी कार्तिक महाराज से योग की शिक्षा प्राप्त की। वे योग विद्या में निपुण थे। उस दौर में योग को लेकर आज की तरह की जागरूकता भी नहीं थी। वे जुगाड़ करके तीन मूर्ति भवन में प्रवेश पा गए। वहां वे पंडित नेहरू की पुत्री इंदिरा गांधी को योग की बारीकियां समझाने लगे। वे बाद के दौर में इंदिरा गांधी के सलाहकार की भूमिका में आ गए थे। कहा जाता है कि इंदिरा गांधी उन्हें एक आध्यात्मिक सलाहकार और विश्वासपात्र मानती थीं।
धीरेन्द्र ब्रहमचारी की पहुंच प्रधानमंत्री आवास 1 सफदरजंग रोड तक थी। वे प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के योग गुरु थे। वे लगभग रोज ही इंदिरा गांधी को योग करवाने जाते थे। उनके शिष्य बाल मुकुंद भी 1 सफदरजंग रोड जाते थे। धीरेन्द्र ब्रहमचारी 1978 से 1984 के दरम्यान दूरदर्शन पर योग की पाठशाला भी चलाते थे। उसमें वे अपने शिष्य बाल मुकुंद से विभिन्न योग क्रियाएं करने के लिए कहा करते थे। धीरेंद्र ब्रह्मचारी के दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले योग कार्यक्रम से उन्हें सारा देश जानने लगा था। “गुरुजी मौन प्रिय थे और उनका योग का ज्ञान असाधारण था। वे अंजान लोगों के लिए भी बहुत मददगार थे, हालांकि बाद में उन्होंने उन लोगों से मिलना-जुलना बंद कर दिया जो उनके पास बार-बार मदद मांगने आते थे,” बाल मुकुंद बताते थे । अपने टीवी पर आने वाले शो के दौरान, एक महिला प्रस्तोता, डॉली, दर्शकों के प्रश्न उनसे पूछती थी और वे उनके उत्तर देते थे। वे डॉली को डॉली जी कहते थे।
पूर्व आईएएस अधिकारी और लेखक अमिताभ पांडे बताते हैं-“ मेरे पिता 1958 में दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव थे और हम 221 राउज एवेन्यू, (अब गांधी शांति प्रतिष्ठान) में रहते थे। मेरे पिताजी के एक साहयक एक दिन एक योग गुरु को हमारे घर लाए ताकि वे हमें योग से परिचित करा सकें। कुछ महीनों तक वे नियमित रूप से हमारे घर आकर हमें योग की शिक्षा देते रहे। कुछ समय के बाद वे धीरेन्द्र ब्रह्मचारी के रूप में प्रख्यात हुए। मेरे पास अभी भी उनके द्वारा दी गई ‘सूक्ष्म व्यायाम’ नाम की एक किताब कहीं है। वह बेहद आकर्षक व्यक्तित्व के धनी थे।”
श्रीमती गांधी की 1984 को हत्या के बाद धीरेंद्र ब्रह्मचारी के सितारे गर्दिश में चले गए। इंदिरा गांधी की हत्या से वे टूट गए। उनकी देखरेख में ही हुई इंदिरा गांधी की अत्येष्टि। संजय गांधी की अत्येष्टि की भी व्यवस्था धीरेन्द्र ब्रहमचारी देख रहे थे। इंदिरा गांधी के ना रहने के बाद दूरदर्शन पर उनका कार्यक्रम बंद हो गया था। कहते हैं, राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री बनते ही उनका कार्यक्रम बंद करवा दिया था। अब वे घर में ही रहने लगे थे। कभी-कभार दिल्ली की सड़कों पर खुद ही किसी विदेशी कार को ड्राइव करते हुए दिख जाते थे। काफी तेज कार चलाते थे।
कब वक्त ही वक्त था
अब उनसे उनके गिने-चुने मित्र ही मिला करते। वे मीडिया से भी खफा रहते थे कि क्योंकि उन्हें लगता था कि मीडिया उनको लेकर अनाप-शनाप लिखता है। इस दौर में वे स्कूलों में योग को खेल का दर्जा दिलवाने की कोशिशें करने लगे। आप कह सकते हैं कि उन्हीं के प्रयासों से सरकारी स्कूलों में योग को एक विषय के रूप में मान्यता मिली। जिसकी वजह से बड़ी संख्या में योग जानने वालों को सरकारी स्कूलों में नौकरी भी मिल गई।
पूर्व प्रधानमंत्री आई.के. गुजराल ने अपनी आत्मकथा में लिखा, ‘मैटर्स ऑफ डिस्क्रिशन’ में, पूर्व प्रधानमंत्री आई.के. गुजराल लिखते हैं, “जब मैं श्रीमती इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में निर्माण और आवास मंत्रालय देख रहा था, तो योग गुरु धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने मुझ पर गोल डाकखाना के पास के एक खाली प्लाट को योग आश्रम के लिए देने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया था। जब मैं उनके दबाव में नहीं झुका, तो एक दिन उन्होंने मुझे फोन करके धमकाया कि अगर मैंने उनके अनुरोध पर कार्रवाई नहीं की, तो वे यह सुनिश्चित करेंगे कि मुझे कैबिनेट से हटा दिया जाए।”
एक हफ्ते बाद जब केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल हुआ, तो गुजराल को हटा दिया गया और उमा शंकर दीक्षित को उनकी जगह लाया गया। दीक्षित ने भी उन्हें खुश नहीं किया, हालांकि अंत में उन्हें वहां एक प्लॉट मिल गया। धीरेंद्र ब्रह्मचारी अपने जीवनकाल में कई विवादों में घिरे रहे। उन पर भूमि हड़पने, अवैध हथियार रखने और वित्तीय अनियमितताओं के भी आरोप लगे।
धीरेन्द्र ब्रह्मचारी का 9 जून, 1994 को जम्मू में एक विमान दुर्घटना में निधन हो गया था। हालांकि, उनकी मृत्यु के बाद से भारत में ना जाने कितने योग गुरु आए और आगे भी आते रहेंगे, लेकिन धीरेंद्र ब्रह्मचारी की बात ही अलग थी। उनकी मृत्यु के बाद, ये सवाल पूछे जाते रहे कि कैसे एक योग राजधानी के पॉश एरिया में एक भव्य घर खरीद सकता है और कई निजी विमान रख सकता है, जबकि उसका कोई दूसरा व्यवसाय नहीं था?