यमुनानगर, 23 जून 2025: देश के प्लाईवुड उद्योग का गढ़ कहलाने वाला यमुनानगर गहरे संकट में है। यहां की आधी प्लाईवुड फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं, और कारोबारी अब उत्तर प्रदेश का रुख कर रहे हैं। हरियाणा प्लाईवुड मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के प्रधान जेके बिहानी ने बताया कि व्यापारिक और नीतिगत कारणों ने उद्यमियों को यूपी की ओर आकर्षित किया है।
तीन बड़े कारणों से यूपी बना पसंद
पहला, यूपी में लकड़ी और श्रमिकों की आसान उपलब्धता के साथ प्लाईवुड की बिक्री के लिए बड़ा बाजार मौजूद है। दूसरा, यूपी सरकार उद्यमियों को रियायती दरों पर जमीन, 10 साल तक राज्य जीएसटी में छूट और सस्ती बिजली जैसी सुविधाएं दे रही है। तीसरा, पिछले आठ सालों में यूपी में बेहतर कानून-व्यवस्था और उद्योगों को लाइसेंस मिलने से कारोबारी माहौल अनुकूल हुआ है।
बिहानी के मुताबिक, हरियाणा में प्लाईवुड उद्योग 80% लकड़ी और 70% श्रमिक यूपी से ही लेता है। इसके बावजूद, कच्चा माल लाने और तैयार माल भेजने में प्रति क्विंटल 150-180 रुपये का अतिरिक्त खर्च आता है। हरियाणा में महंगी बिजली और फैक्ट्रियों की जमीन को अनधिकृत घोषित किए जाने ने भी कारोबारियों का जीना मुहाल कर दिया है।
यमुनानगर में घटा कारोबार
कभी यमुनानगर में 700 से ज्यादा प्लाईवुड फैक्ट्रियां थीं, जो अब घटकर 400 रह गई हैं। इनमें भी सिर्फ 250 ही चालू हैं। लकड़ी की आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। पहले जहां रोजाना 1,000-1,200 ट्रॉलियां लकड़ी आती थीं, अब यह संख्या 300-400 पर सिमट गई है। यूपी के बाद हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल और पंजाब से लकड़ी आती है।
तंजानिया की लकड़ी से मिली मामूली राहत
हरियाणा सरकार के तंजानिया के साथ करार से हर महीने 2,500 कंटेनर लकड़ी आ रही है, लेकिन बिहानी इसे ‘आईसीयू में मरीज को सपोर्ट सिस्टम’ जैसा बताते हैं। उन्होंने कहा कि पहले असम से प्लाईवुड उद्योग खत्म होने के बाद हरियाणा में यह फला-फूला था, लेकिन अब यही हाल यमुनानगर का हो रहा है।
यूपी में 25 एकड़ जमीन खरीद चुके कारोबारी
यमुनानगर के कारोबारियों ने यूपी में अब तक 25 एकड़ जमीन खरीद ली है। यूपी का अनुकूल माहौल और हरियाणा में बढ़ती मुश्किलें उद्यमियों को पलायन के लिए मजबूर कर रही हैं। अगर हालात नहीं सुधरे, तो यमुनानगर का प्लाईवुड उद्योग पूरी तरह ठप होने की कगार पर है।