वाराणसी, 6 अप्रैल 2025, रविवार। चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि—यह दिन सनातन धर्म की उस अनूठी परंपरा का साक्षी बना, जो विश्व के समस्त धार्मिक विचारों में केवल सनातनियों के बीच ही देखने को मिलती है: नारी शक्ति की आराधना। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने इस पावन अवसर पर एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए विभिन्न क्षेत्रों से 9 प्रतिनिधि मातृ शक्तियों को मुख्य याजक के रूप में आमंत्रित किया और नवमी यज्ञ को भव्यता के साथ संपन्न किया। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि समाज में महिला सम्मान और सशक्तिकरण का एक सशक्त संदेश भी लेकर आया।

दिन की शुरुआत दोपहर 12 बजे अयोध्या धाम में हुए भगवान श्रीराम के सूर्य तिलक कार्यक्रम के सजीव प्रसारण से हुई। मंदिर चौक में लगाई गई विशाल एलईडी स्क्रीन पर इस अलौकिक दृश्य को देख श्रद्धालुओं की आँखें आनंद से चमक उठीं। इसके बाद, मातृ शक्ति की नौ प्रतिनिधियों ने यज्ञ की अग्नि को प्रज्वलित कर उसकी पवित्रता को और बढ़ाया। ये नौ महिलाएँ—अलग-अलग क्षेत्रों से आईं समाज की प्रेरणा स्रोत—नारी शक्ति के उस सनातन विश्वास का प्रतीक बनीं, जो कहता है कि नारी पूजनीय है, शक्तिस्वरूपा है।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के आयोजन में इन महिलाओं का चयन उनके समाजसेवा, कला, शिक्षा, और अन्य क्षेत्रों में योगदान को देखते हुए किया गया था, जो यह दर्शाता है कि सनातन परंपरा में नारी केवल पूजा की वस्तु नहीं, बल्कि समाज के निर्माण की आधारशिला है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्रा ने कहा कि न्यास का मानना है कि यह पहल नारी सम्मान और सशक्तिकरण के प्रति एक नई जागृति लाएगी।

यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि एक संदेश था—कि सनातन धर्म में नारी शक्ति का स्थान सर्वोच्च है और उसे समाज में भी वही सम्मान मिलना चाहिए। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने इस अवसर पर सनातन जगत के सर्वकल्याण की कामना की और यह संकल्प दोहराया कि ऐसी पहल भविष्य में भी जारी रहेंगी। यह नवमी यज्ञ काशी की पावन धरती से निकला एक ऐसा प्रकाश था, जो नारी शक्ति की महिमा को न केवल सनातनियों के दिलों में, बल्कि पूरे विश्व में गूँजाने का वादा करता है।