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Tuesday, October 22, 2024

विश्व का सैन्य खर्च 2.1 खरब डॉलर के सर्वोच्च स्तर पर, भारत तीसरे स्थान पर पहुंचा

रूस व यूक्रेन के बीच जारी जंग के बीच एक और बड़ी खबर आई है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार विश्व में सैन्य खर्च 2.1 खरब डॉलर के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है। भारत सैन्य खर्च के मामले में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है।

अमेरिका व चीन हथियारों पर खर्च के मामले में सबसे आगे हैं। उनके बाद भारत ने स्थान ले लिया है। एसआईपीआरआई की वर्ष 2021 की रिपोर्ट के अनुसार इस साल अमेरिका, चीन, भारत, ब्रिटेन व रूस ने हथियारों पर सबसे ज्यादा खर्च किया। रिपोर्ट के अनुसार 2021 में भारत 76.6 अरब डॉलर का सैन्य खर्च कर दुनिया में तीसरे स्थान पर है। इसमें 2020 की तुलना में 0.9  फीसदी और 2012 की तुलना में 33 फीसदी वृद्धि हुई है।

जब दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही थी, तब भी दुनियाभर के देशों ने हथियारों पर खर्च बढ़ाया है। इतना ही नहीं महामारी के दूसरे साल में विश्व का सैन्य खर्च 2.1 खरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इस तरह लगातार सातवें साल सैन्य खर्च में बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका असल में पूरी दुनिया का सैन्य खर्च 0.7 फीसदी बढ़ा और यह 2113 अरब डॉलर रहा।  अमेरिका ने समीक्षाधीन वर्ष में 801 अरब डॉलर का सैन्य खर्च किया। इसमें बीते वर्ष की तुलना में 1.4 प्रतिशत की गिरावट आई। अमेरिका ने रक्षा शोध पर 24 फीसदी खर्च किया तो हथियार खरीदी पर 6.4 फीसदी कम खर्च किया।
सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले पांचों देशों की 2021 में कुल सैन्य खर्च में 62 फीसदी हिस्सेदारी रही। जहां जीडीपी में गिरावट आई और महंगाई के बोझ से जनता जूझती रही वहीं हथियारों पर खर्च 6.1 फीसदी बढ़ गया।

संगठन के मुख्य शोधार्थी डॉ. डिएगो लोप्स डे सिल्वा ने कहा कि कोरोना महामारी से उबरने के बाद रक्षा खर्च में तेजी से बढ़ोतरी हुई और वैश्विक जीडीपी का 2.2 हो गया। हालांकि, 2020 में यह विश्व जीडीपी का 2.3 फीसदी रहा था।
दूसरे स्थान पर चीन रहा। चीन ने रक्षा पर 293 अरब डॉलर खर्च किए। 2020 की तुलना में उसने रक्षा व्यय में 4.7 फीसदी की वृद्धि की। चीन की तुलना में भारत की वृद्धि मामूली है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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