नई दिल्ली, 1 मार्च 2025, शनिवार। उत्तराखंड के चमोली जिले में हिमस्खलन की घटना में फंसे 55 मजदूरों में से 33 को सुरक्षित निकाल लिया गया है। घटना बदरीनाथ के पास सीमांत माणा गांव में शुक्रवार तड़के हुई थी। प्रदेश के आपदा प्रबंधन और पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि बदरीनाथ धाम से छह किलोमीटर आगे हुई हिमस्खलन की घटना में पहले 57 मजदूरों के फंसे होने की सूचना मिली थी, लेकिन दो मजदूरों के छुट्टी पर होने के कारण मौके पर 55 मजदूर थे।
बचाव अभियान में 65 से अधिक कर्मचारी लगे हुए हैं, लेकिन सुमन ने माना कि बचाव काम चुनौतीपूर्ण है क्योंकि हिमस्खलन स्थल के पास सात फुट तक बर्फ जमी हुई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देर रात राज्य आपदा परिचालन केंद्र पहुंचकर बचाव कार्यों की समीक्षा की और कहा कि प्रत्येक श्रमिक की सुरक्षित वापसी के लिए जो भी संभव होगा, वह किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा, प्रत्येक श्रमिक की सुरक्षित वापसी के लिए जो भी संभव होगा, हम वह करेंगे। धामी हिमस्खलन बचाव कार्यों का जायजा लेने के लिए शनिवार को मौके पर भी पहुंचेंगे।
भारतीय वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर शनिवार सुबह खोज एवं बचाव अभियान में लग गई है। बदरीनाथ से करीब तीन किलोमीटर दूर माणा भारत तिब्बत सीमा पर बसा आखिरी गांव है जो 3200 मीटर की उंचाई पर स्थित है। माणा से आ रही तस्वीरों में बचावकर्मी सफेद परिदृश्य में बर्फ के ऊंचे ढेरों के बीच से गुजरते हुए दिखाई दे रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि फंसे लोगों को बचाना सरकार की प्राथमिकता है । ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि उन्होंने घटना के संबंध में मुख्यमंत्री धामी, आईटीबीपी और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के महानिदेशकों से बात की है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिह ने कहा कि सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए फंसे लोगों को निकालने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। माणा के ग्रामीणों का कहना है कि जिस सथान पर हादसा हुआ है उसे हिमस्खलन की दृष्टि से ठंड में खतरनाक माना जाता रहा है इसलिए पूर्व में इस कैंप से लोगों को हटाकर बदरीनाथ में रखा जाता था। माणा के गांव प्रधान पिताम्बर सिंह ने बताया कि इस बार बर्फ नहीं गिरने से कैंप बंद नहीं किया गया था और इस कारण मजदूर हादसे की चपेट में आ गए ।