बदल रहे मौसम और मानसूनी बारिश के बाद डेंगू के प्रसार की आशंका बढ़ जाती है। डेंगू एक साधारण बीमारी है, लेकिन इलाज में लापरवाही से यह खतरनाक स्थिति में पहुंच जाती है। अगर अचानक बुखार के साथ आंखों के पीछे तेज दर्द हो तो मरीज को डेंगू की जांच अवश्य करानी चाहिए।
सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दुबे ने बताया कि इस साल की थीम है ‘डेंगू की रोकथाम संभव, आइए हाथ मिलाएं’। इसी तर्ज पर विभाग इस साल काम कर रहा है। बताया कि डेंगू से बचाव के लिए बुखार की स्थिति में चिकित्सक की सलाह पर ही दवा लेनी चाहिए। खून पतला करने वाली दवा का सेवन सिरदर्द होने पर बिल्कुल नहीं करना है, क्योंकि यह उल्टा असर करती हैं और जानलेवा साबित होती हैं।
डेंगू में प्लेटलेट घटने को लेकर लोगों के बीच कई तरह भ्रांतियां हैं। डेंगू के हर मरीज को प्लेटलेट की आवश्यकता नहीं होती है। आवश्यक नहीं है कि प्लेटलेट घट रहा हो तो डेंगू ही हो, क्योंकि यह कई बार वायरल और संक्रमण में भी यह घटता है। इसलिए जब तक एलाइजा जांच न हो जाए तब तक सिर्फ घटते प्लेटलेट के आधार पर डेंगू नहीं माना जा सकता।
साफ पानी में पनपता है डेंगू का लार्वा
डेंगू का लार्वा छोटे जलस्रोतों जैसे कूलर, गमला, फ्रिज ट्रे, नाद आदि में साफ पानी के ठहराव से बनता है। ऐसे स्थानों की साप्ताहिक तौर पर सफाई करनी है। डेंगू तेजी से फैलता है इसलिए यह ज्यादा खतरनाक है। इसलिए डेंगू का लक्षण दिखने पर तत्काल इलाज कराएं।
सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर एन वन एस वन किट उपलब्ध
सीएमओ ने बताया कि जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर एन वन एस वन किट उपलब्ध हैं, जिनके जरिये डेंगू का पता लगाया जा सकता है। किट से जांच के बाद एलाइजा टेस्ट होता है और जब उसमें डेंगू की पुष्टि होती है, तभी डेंगू सही माना जाता है।
ये हैं लक्षण
तेज बुखार, त्वचा पर चकत्ते, तेज सिर दर्द, पीठ दर्द, आंखों में दर्द, मसूड़ों से खून बहना, नाक से खून बहना, जोड़ों में दर्द, उल्टी, डायरिया।
जिला अस्पताल में 10 और सीएचसी पर पांच बेड आरक्षित
सीएमओ ने बताया कि हर रविवार मच्छरों पर वार, लार्वा पर प्रहार संदेश लोगों के बीच बताया जाएगा। बताया कि डेंगू मरीजों के लिए जिला स्तर पर 10 और सीएचसी पर पांच बेड आरक्षित किए गए हैं।
जिले में डेंगू का प्रकोप
वर्ष केस मौत
2017 11 दो
2018 25 0
2019 114 एक
2020 नौ 0
2021 67 0