नई दिल्ली, 6 मई 2025, मंगलवार। मेरठ के सरधना नगर के मोहल्ला घोसियान की सना की जिंदगी इन दिनों एक अनकही पीड़ा और बिछड़न की दास्तान बयां कर रही है। सना, जो अपने दो बच्चों के साथ 45 दिन के वीजा पर अपने मायके आई थी, को अपने बच्चों को पाकिस्तान भेजना पड़ा, जबकि वह खुद अटारी बॉर्डर से अकेले ही वापस लौट आई।
आतंकी हमले ने बदला सब कुछ
सना, जो पाकिस्तान के कराची में अपने ससुराल में रहती है, 14 अप्रैल को अपने दो बच्चों के साथ मायके में एक शादी समारोह में शामिल होने आई थी। लेकिन पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने सार्क वीजा पर आए पाकिस्तानी नागरिकों को तत्काल वापस लौटने के निर्देश जारी किए। सना के दोनों बच्चों के पास पाकिस्तानी पासपोर्ट था, जिसके चलते उन्हें वापस जाना जरूरी था। लेकिन सना का पासपोर्ट भारतीय होने के कारण वह अपने ससुराल नहीं लौट सकी।
बच्चों को सौंपने की कठिन घड़ी
कई दिनों की जद्दोजहद और प्रशासन के दबाव के बाद सना को आखिरकार अपने बच्चों को वाघा बॉर्डर पर अपने पति बिलाल को सौंपना पड़ा। यह पल सना के लिए बेहद कष्टदायक था। उसने बताया कि बच्चों का वीजा अभी 27 दिन और वैध था, लेकिन हालात ने उसे मजबूर कर दिया। इससे पहले भी सना बच्चों को लेकर अटारी बॉर्डर गई थी, लेकिन बच्चों के छोटे होने और कोई जिम्मेदारी न लेने के कारण उसे वापस मायके लौटना पड़ा था। इस बार, परिजनों के साथ पूरी कागजी कार्रवाई के बाद सना ने बच्चों को पति को सौंप दिया और खुद मायके वापस आ गई।
पांच साल पहले बंधा था रिश्ता
सना की कहानी की जड़ें परिवार और रिश्तों की गहरी परंपराओं में हैं। मोहल्ला घोसियान में रहने वाले शेरद्दीन, जो दूध की डेयरी चलाते हैं, ने 2020 में अपनी बेटी सना का निकाह अपनी बहन इद्दो के बेटे बिलाल से किया था। इद्दो करीब 50 साल पहले पाकिस्तान के कराची में ब्याह दी गई थीं। सना का यह निकाह सीमाओं को पार करता एक पारिवारिक रिश्ता था, जो अब सरकारी नियमों और परिस्थितियों के बीच उलझ गया है। सना ने गृह मंत्रालय में अपने ससुराल जाने की अर्जी लगाई है और उसे उम्मीद है कि जल्द ही वह अपने बच्चों के पास पहुंच सकेगी। परिजनों का कहना है कि सना का यह बिछड़न का दर्द जल्द खत्म होगा।