शीतकालीन सत्र के शुरुआती दिनों में विपक्ष के हंगामे व व्यवधान के बाद पहले सप्ताह के अंतिम दिनों में राज्यसभा में कामकाज सामान्य होता नजर आया। सप्ताह के अंतिम दो दिनों में तो उत्पादकता 95 फीसदी से ऊपर रही। गुरुवार को राज्यसभा में 95 फीसदी और शुक्रवार को 100 फीसदी उत्पादकता दर्ज की गई।
राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कुछ विपक्षी नेताओं और मंत्रियों से मुलाकात की। दोनों पक्षों से सदन के 12 सदस्यों के निलंबन पर अपने विचारों पर चर्चा करने का आग्रह किया। सत्र के पहले सप्ताह के दौरान दो विधेयक- कृषि कानून निरसन विधेयक और बांध सुरक्षा विधेयक सदन द्वारा पारित किया गया। सूचीबद्ध 67 प्रश्नों में से 23 के मौखिक उत्तर दिए गए।
चालू शीत सत्र के पहले सप्ताह में सदन में व्यवधान और कार्यवाही ठप होने के कारण 52.30 फीसदी समय बर्बाद हुआ। सदन की उत्पादकता निर्धारित समय की 47.70 प्रतिशत रही है। पिछले हफ्ते शुक्रवार को राज्यसभा में 22 गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयक पेश किए गए और एक पर चर्चा हुई। संविधान की प्रस्तावना में संशोधन करने वाले ऐसे ही एक विधेयक को पेश करने पर रोक लगा दी गई थी।
सांसदों के निलंबन पर सभापति वेंकैया नायडू ने विपक्षी दलों से कहा कि यह फैसला सदन का है, इसलिए वे सरकार से बात करें और अपना आचरण मर्यादित रखें। दोनों पक्षों की सहमति हो तो वह विचार कर सकते हैं। सदन में अलोकतांत्रिक आचरण को खारिज करने को अलोकतांत्रिक नहीं कहा जा सकता। सभापति ने इस बात खेद जताया कि सदन में तीन दिनों तक कोई कामकाज नहीं हो सका। साथ ही कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है कि इस तरह सदस्यों को निलंबित किया गया है।