नई दिल्ली, 31 दिसंबर 2024, मंगलवार। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक एवं पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना का ऐलान किया है, जिसके तहत दिल्ली के पुजारियों और ग्रंथियों को हर महीने 18 हजार रुपये दिए जाएंगे। यह योजना सरकार बनने के बाद लागू होगी। इस योजना के लिए रजिस्ट्रेशन की शुरुआत कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर से हुई है। यह योजना पुजारियों और ग्रंथियों के लिए एक बड़ा समर्थन होगी और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करने में मदद करेगी। यह कदम उन आलोचनाओं के जवाब में उठाया गया है, जिनमें सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया जाता रहा है। केजरीवाल के ऐलान के बाद पुजारियों ने अरविंद केजरीवाल के आवास पहुंचकर उनका धन्यवाद किया।
अरविंद केजरीवाल ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना के ऐलान के बाद देश भर से फोन और मेसेज आ रहे हैं। सभी धार्मिक लोग बहुत खुश हैं। दिल्ली के कई पुजारी और ग्रंथी मुझसे मिलने आए और उन्होंने आशीर्वाद दिया। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (आप) ने पुजारियों और ग्रंथियों के लिए एक बड़ा वादा जरूर किया है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने इसे चुनावी झूठ बताया है। भाजपा का कहना है कि दिल्ली सरकार पहले 10 साल का एरियर पुजारियों और ग्रंथियों को दे। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने 10 साल तक पुजारियों और ग्रंथियों की उपेक्षा की और अब उन्हें ठगने का नया नाटक शुरू किया है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार ने इमामों को पिछले 10 साल से वेतन दिया है, लेकिन हिन्दू और सिख धर्मगुरुओं को नजरअंदाज किया है।
गिरिराज सिंह ने केजरीवाल पर चुनावी अवसरवादिता का आरोप लगाया और कहा कि यह वादा केवल वोट हासिल करने के लिए किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि केजरीवाल पहले महिलाओं को ‘बुरबक’ बनाने की कोशिश कर चुके हैं और अब धर्मगुरुओं को झूठे वादों से भ्रमित कर रहे हैं। भाजपा ने ‘आप’ सरकार पर तुष्टिकरण और नकली धर्मनिरपेक्षता का आरोप लगाया और कहा कि चुनाव के समय ही ऐसी घोषणाएं क्यों की जाती हैं?
केजरीवाल ने पुजारियों और ग्रंथियों से यह वादा ऐसे समय पर किया है, जब दिल्ली वक्फ बोर्ड से जुड़े करीब 250 इमाम 17 महीने से बकाया वेतन की मांग कर रहे हैं। इमामों को दिल्ली सरकार पहले से ही 18 हजार रुपये महीना वेतन दे रही है। अक्सर भाजपा इस बात को लेकर ‘आप’ सरकार को घेरती थी कि इमामों को वेतन दिया जा रहा है तो पुजारियों को क्यों नहीं।