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Thursday, November 21, 2024

हिन्दू पर्वों से इतनी नफरत क्यों और उन पर हमले कब तक ?

18 अक्टूबर 2024:

मृत्युंजय दीक्षित
हिंदू पर्वों नवरात्र व विजयादशमी के अवसर पर पश्चिम बंगाल से लेकर उत्तर प्रदेश सहित देश के कुछ अन्य हिस्सों में जिस प्रकार दुर्गा प्रतिमाओं को खंडित करके अपमानित किया गया, मूर्ति विसर्जन में बाधा डाली गई, शोभा यात्राओं पर हमले किये गए उससे निंदनीय कृत्य नहीं हो सकते। इससे भी निंदनीय है मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए एकतरफा विकृत बयानबाजी करके उस हिंसा का बचाव किया जाना। स्वतंत्रता के बाद के इतने वर्षों में हिंदू समाज के लोगों ने कभी भी किसी भी मजहब के पर्वों में किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं डाला वरन सदा सहिष्णुता का परिचय देते हुए उनके पर्वो को मनाने में सहयोग ही किया है। इसके विपरीत मुस्लमान कभी भी हिन्दुओं को उल्लास, उत्साह और प्रसन्नता के साथ कोई पर्व मनाने नहीं देते हमेशा पत्थर, बोतल, और बम लेकर हमले के लिए तैयार रहते हैं।
ऐसा कब तक चलेगा ?
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद से एक भी बड़ा दंगा नहीं हुआ है, प्रदेश की सशक्त कानून व्यवस्था के कारण ही न केवल योगी सरकार पुनः सत्ता में आई है वरन उसका प्रभाव अन्य प्रान्तों की चुनावी राजनीति पर भी पड़ रहा है। दूसरी तरह कुछ राजनैतिक दल और उनका वोट बैंक हर दिन प्रदेश की कानून व्यवस्था बिगाडने का प्रयास कते रहते हैं । समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के इसी वोट बैंक ने दुर्गा प्रतिमा विसर्जन में पूर्व नियोजित रूप से पथराव करके वातावरण बिगाड़ने में कामयाबी पा ली और और निर्दोष राम गोपाल मिश्रा को अपने प्राण गंवाने पड़े।
शांति भंग करने का प्रयास केवल बहराइच में ही नहीं हुआ, विजयादशमी के पूर्व ही समुदाय विशेष ने लखनऊ और आजमगढ़ में देवी प्रतिमाओं को खंडित कर वातावरण बिगाड़ने का प्रयास किया। लखनऊ में प्रतिष्ठित मरी माता मंदिर में देवी प्रतिमा को खंडित किया गया, आजमगढ़ में मां लक्ष्मी की प्रतिमा को खंडित किया गया, गोंडा जिले में दुर्गा पंडाल के बाहर पत्थरबाजी की गई, हरदोई जिले में भी अरजकतत्वों ने नवरात्रि के समय में ही मंदिर में स्थापित देवी की प्रतिमा को खंडित कर दिया गया जिसके कारण तनाव उत्पन्न हुआ किंतु ग्रामीणों व पुलिस की सतर्कता के कारण बड़ा उपद्रव नहीं हो सका। इसी प्रकार रायबरेली जिले के बछरावां में चंद्रिका देवी मंदिर में रखी चार मूर्तियां अराजकतत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दीं। इसी प्रकार अंबेडकरनगर के बेताना में और बाराबंकी के कसबा इचौली में विसर्जन जुलूस के दौरान आपत्तिजनक वस्तु फैंकी गई और उपद्रव करने का प्रयास किया गया। आजमगढ़ में दूसरी बार निजामाबाद मे विसर्जन जुलूस के दौरान डीजे बजाने को लेकर विवाद हो गया।
यहां पर 48 अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। वहीं आगरा के बमरौली कटारा के समोगर घाट पर यमुना में मूर्ति विसर्जन में बाधा डालने के उद्देश्य से धर्म विशेष के दो युवकों ने चौकी प्रभारी मुकेश कुमार पर हमला बोल दिया। उनका गला दबाया और जमीन पर गिराकर पीटा। अतिरिक्त पुलिसकर्मियों के आने पर ही वह किसी प्रकार से बच सके किंतु यहां पर भी लापरवाही के कारण वह दोनों युवक भाग निकलने मे सफल हो गये। बिजनौर जिले में मंदिर से रामचरित मानस को चोरी कर जला दिया गया।
आखिर यह सब मानसिक विकृति नहीं तो और क्या है? नवरात्र और दुर्गापूजा के अवसर पर प्रदेश में जिस प्रकर की घटनाएं घटी हैं यदि विहंगम दृष्टि डाली जाए तो सबका पैटर्न लगभग एक समान है। यह सभी घटनाएं देखने व सुनने में छुटपुट जरूर हैं किंतु इनका उद्देश्य सामूहिक है। केंद्र सरकार ने पीएफआई जैसे कुख्यात संगठनों को प्रतिबंधित अवश्य कर दिया है किंतु ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उनके स्लीपर सेल लगातार अपना कार्य कर रहे हैं।
दुर्गा पूजा, विजयदशमी, रामनवमी, गणेशोत्सव भारतीय संस्कृति और पंरपरा के महत्वपूर्ण पर्व हैं, पहचान हैं हमारी संस्कृति के इनसे या इनको मनाने वालों से किसी को क्या शत्रुता हो सकती है? बहराइच जिले में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान एक बाईस वर्षीय हिन्दू युवक राम गोपाल मिश्र बलिदान हो गया, मुसलमानों ने अत्यंत क्रूरता से उसकी हत्या कर दी किंतु प्रदेश में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले इस अवसर पर भी अपने वोट बैंक को साधते दिखाई दिए।
ये मुस्लिम तुष्टिकरण वाले दल पहले सरकार और प्रशासन की विफलता को दोष दे रहे थे और अब जब सख्ती बरती जा रही है तब ख रहे हैं कि प्रदेश सरकार एकतरफा कार्यवाही कर रही है। अब उन्हें केवल योगी का इस्तीफा चाहिए क्योंकि अब पत्थरबाजों के हिसाब किताब का समय है । जब दुर्गापुजा और गणेशोत्सव पर ऐसे ही एकतरफा हमले होंगे तो कभी न कभी हिन्दू समाज का धैर्य भी जवाब देगा, यदि हिन्दू समाज भी ऐसा ही करने लगे तो?
बहराइच की घटना में एक निर्दोष 22 वर्षीय हिंदू युवक की बर्बरता पूर्ण हत्या कर दी जाती है तो मीडिया का एक वर्ग भी अल्पसंख्यकों के पक्ष में मौन धारण कर लेता है लेकिन बाबा सिद्दीकी नाम केअपराधी जो तुष्टिकरण करने वालों की कृपा सफेदपोश हो गया उसके लिए आंसू बहा रहा है । ये यह एकतरफा सेकुलरिज्म अब बहुत दिनों तक चलने वाला नहीं है। दूसरी ओर अब हिंदुओं को भी यह बात समझनी होगी कि अपनी सुरक्षा के लिए आप किसी पर निर्भर नहीं रह सकते, अपने आपको इतना सशक्त बनाना होगा कि कोई भी आपके पर्वों को दुःख के पर्व में बदलने का दुस्साहस करने के बारे में सोच भी न सके।

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