रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) की नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटिगरी (एनटीपीसी) परीक्षा के रिजल्ट में धांधली का आरोप लगाते हुए छात्र लगातार आंदोलन कर रहे हैं। छात्रों ने शुक्रवार को बिहार बंद बुलाया है, जिसे कई राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिल रहा है। इस परीक्षा का रिजल्ट 14 जनवरी को आया था। इसके 10 दिन बाद यानी 24 जनवरी से छात्रों ने रिजल्ट में धांधली की बात कहते हुए आंदोलन शुरू कर दिया। छात्रों ने बिहार और यूपी में विरोध प्रदर्शन किया, जो अन्य हिस्सों में भी फैल गया। इस दौरान छात्रों ने बिहार में कई ट्रेनों में आ लगा दी और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान भी पहुंचाया।
छात्रों का आरोप क्या है?
छात्रों का कहना है कि रेलवे भर्ती बोर्ड ( जिसका काम रेलवे में भर्ती से जुड़ी परीक्षाओं का आयोजन करना है) की एनटीपीसी परीक्षा में धांधली हुई है। देश भर में रेलवे में भर्ती के लिए 21 रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड्स हैं। दरअसल रेलवे ने इस नौकरी के लिए 12वीं पास योग्यता रखी थी, लेकिन ग्रेजुएट भी क्वालिफाई कर रहे हैं। लेवल -2 जॉब के लिए परीक्षा में बैठ रहे छात्रों का कहना है कि ज्यादा योग्यता वाले छात्र भी इसमें बैठ रहे हैं। ऐसे में 12वीं पास उम्मीदवारों को लगता है कि ग्रेजुएट उम्मीदवरों की वजह से उनकी सीटें कम हो रही हैं। छात्रों का कहना है कि अगर ग्रेजुएट इसके लिए आवेदन नहीं करते तो नौकरी का मौका उन्हें ही मिलता।
किस परीक्षा को लेकर है विवाद?
रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरी की परीक्षा में भर्ती निकाली थी। इस परीक्षा में अलग-अलग पे-ग्रेड पर, करीब 35 हजार 281 भर्तियां निकाली गईं। इनमें से 24 से ज्यादा पद ग्रेजुएट और साढ़े दस हजार पद अंडर ग्रेजुएट (12वीं पास) के लिए थे। इन्हें 5 लेवल 2, 3, 4, 5, 6 में विभाजित किया गया था। सभी लेवल में योग्यता और तनख्वाह अलग-अलग तय की गई थी। जैसे लेवल-2 के लिए 12वीं पास होना जरूरी था और इसमें 19 हजार वेतन तय था। इसी प्रकार लेवल-6 के लिए ग्रेजुएट होना जरूरी है और इसमें तनख्वाह 35हजार रुपये थी।
आवेदन कब मांगे गए थे?
इन नौकरियों के लिए 2019 में आवेदन मांगे गए थे। उसी वर्ष सितंबर में परीक्षा होनी थी। लेकिन इसमें देरी हुई। बाद में दिसंबर 2020 से जुलाई 2021 के बीच देशभर में इस भर्ती के लिए पहले चरण की परीक्षा हुई और रिजल्ट 14 जनवरी 2022 को घोषित किए गए।
योग्यता पर क्या है विवाद?
रेलवे भर्ती बोर्ड ने बीते सोमवार को नोटिस जारी कर एलान किया कि ग्रूप डी भर्ती (लेवल-1) परीक्षा में सीबीटी-2 (कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट) की भी परीक्षा होगी। सीबीटी-1 में पास होने वाले अभ्यर्थियों को सीबीटी-2 देना होगा। सीबीटी-2 के बाद पीईटी होगा। अभी तक अभ्यर्थी यह समझ रहे थे कि सीबीटी-1 में पास होने के बाद उन्हें पीईटी देना होगा।
दूसरी तरफ ग्रूप डी के अभ्यर्थियों का कहना है कि भर्ती निकलने के तीन साल बाद परीक्षा आयोजित की जा रही है। अगर अब सीबीटी-2 भी होग तो नियुक्ति मिलने में बहुत ज्यादा समय लग जाएगा। अब सीबीटी-2 कराया जाना गलत है। हालांकि रेलवे ने 2019 में जारी ग्रूप डी भर्ती की अधिसूचना में यह साफ लिखा था कि सीबीटी सिंगल एक चरण में करना है या कई चरणों में यह तय करने का अधिकार रेलवे प्रशासन के पास रहेगा।
परीक्षा का आयोजन कैसे किया गया था?
अलग-अलग ग्रूप के लिए परीक्षाएं अलग-अलग हुई थीं। कंप्यूटर बेस परीक्षा होने के कारण रेलवे भर्ती बोर्ड ने मैथमेटिकल फार्मूला अपनाता है। पहले फेज का रिजल्ट जब आया था तो 7 लाख 5हजार 446 छात्र पास हुए। 35,281 पदों के लिए उससे बीस गुणा ज्यादा ने दूसरे राउंड के लिए क्वालिफाई कर लिया।
रेलवे का तर्क क्या है?
रेलवे के अधिकारियों का तर्क है कुल 35,281 वैकेंसी में ग्रेजुएट उम्मीदवार सभी पदों के लिए योग्य हैं। जबकि 12वीं पास 10,683 वैकेंसी के लिए योग्य हैं। ग्रेजुएट अभ्यर्थियों ने उन 10+12 वाली कैटिगरी को भी चुना है। उम्मीदवार को एक से अधिक पद की कैटिगरी का चयन करने से नहीं रोका जा सकता है, लेकिन किसी भी अभ्यर्थी को एक से अधिक पद पर चयनित नहीं किया जाएगा।
बहरहाल, छात्रों के विरोध को देखते हुए रेलवे ने एनटीपीसी और ग्रूप डी की परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं। रेलवे ने प्रदर्शनकारियों छात्रों की शिकायतों के निबटारे के लिए एक जांच कमेटी बनाई है। रेल मंत्री अश्विनी बैष्णव ने कहा है कि उम्मीदवार 16 फरवरी तक इस कमेटी के सामने अपना पक्ष रख सकते हैं। यह कमेटी चार मार्च 2022 को अपनी रिपोर्ट देगी।