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Thursday, August 7, 2025

निषाद समाज किसकी नैया लगाएगा पार, भाजपा को गठबंधन से तो कांग्रेस को प्रियंका से उम्मीद

उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछड़ा वर्ग समुदाय की भूमिका सबसे अहम होती है जिसकी आबादी लगभग 40 फीसदी तक मानी जाती है। निषाद समुदाय के लोगों का दावा है कि पिछड़ी आबादी में उनका हिस्सा 18 फीसदी के लगभग है। पूर्वांचल की अलग-अलग विधानसभा सीटों पर निषाद समुदाय (निषाद, केवट, मल्लाह और बिंद) 10 हजार से 40 हजार वोटों तक की भागीदारी रखते हैं। इसी अनुमानित संख्या के आधार पर निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद भाजपा से  अपने लिए दो दर्जन से ज्यादा सीटें देने का दबाव बना रहे हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश कांग्रेस की प्रभारी प्रियंका गांधी निषादों की मांगों को लगातार उठा रही हैं और धीरे-धीरे समाज में पैठ बनाने की कोशिश कर रही हैं। आगामी चुनाव में यह वर्ग किसकी नैया पार लगाएगा, यह देखने वाली बात होगी।

निषाद समुदाय के वोटरों पर भाजपा अपने समीकरणों के कारण सबसे मजबूत दावेदारी कर रही है। पिछड़े समुदाय को दिए जाने वाले आरक्षण को तीन भागों में बांटने की उसकी नीति इस वर्ग के युवाओं पर काफी प्रभावशाली साबित हुई है। इस वर्ग के लोगों को लगता है कि ओबीसी आरक्षण का सबसे ज्यादा लाभ यादव समुदाय उठाता है, जबकि उससे दोगुनी से ज्यादा आबादी होने के बावजूद निषाद युवा ओबीसी आरक्षण का पर्याप्त लाभ नहीं उठा पाते हैं। भाजपा की यह रणनीति इस वर्ग को उसके साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

वहीं, निषाद पार्टी के साथ उसका गठबंधन उसकी इस दावेदारी को और मजबूत करता है। संजय निषाद का दावा है कि यदि उन्हें पर्याप्त भागीदारी दी गई तो इस समाज का 90 फीसदी वोट भाजपा और निषाद पार्टी के गठबंधन की तरफ आ सकता है।

लगातार अभियान चला रही हैं प्रियंका

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष विश्व विजय सिंह ने अमर उजाला को बताया कि प्रियंका गांधी निषाद समुदाय के अधिकारों को लेकर लगातार आंदोलन चला रही हैं। गंगा किनारे खनन के अधिकार को लेकर वे निषादों को पट्टा देने के लिए आंदोलन चला चुकी हैं, तो गोरखपुर में गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ के नाम पर एक विश्वविद्यालय स्थापित करने का वचन दे चुकी हैं।

वे केवल बड़े बड़े मुद्दों को ही नहीं उठा रही हैं, बल्कि आम निषाद समुदाय के लोगों से सीधा संपर्क भी स्थापित कर रही हैं। प्रयागराज के बसवार गांव से निषादों के उत्पीड़न के विरुद्ध आवाज उठाते हुए उन्होंने पदयात्रा शुरू की जो गाजीपुर, चंदौली, बलिया में खत्म हुई। गोरखपुर में एक निषाद समुदाय के व्यक्ति की बेटी की शादी में न्योता भेज कर उन्होंने ये बताने की कोशिश की है कि वे उस परिवार के काफी करीब हैं। प्रियंका की ऐसी कोशिशें निषाद समुदाय के लोगों को पार्टी से जोड़ रहा है।

सपा फूलनदेवी की विरासत के सहारे

समाजवादी पार्टी इस समुदाय के लोगों के वोट के लिए अभी भी फूलन देवी के नाम पर की गई राजनीति पर आश्रित है। पार्टी अभी भी समुदाय के लोगों को यह कहकर अपने साथ जोड़ने का प्रयास कर रही है कि सबसे पहले उसी ने फूलन देवी को सम्मान देने का प्रयास किया था। पार्टी की इस रणनीति को तब और बल मिल गया जब एक भाजपा नेता ने फूलन देवी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। समाजवादी पार्टी का दावा है कि इस समाज का बहुतायत वोटर अब उसके साथ जुड़ा हुआ है। राजनीतिक दलों के इन दावों के बीच विधानसभा चुनाव में यह समाज किसके साथ जाएगा, और किसकी नाव पर लगाएगा, इस पर सबकी नजर रहेगी।

रोजगार के अवसर अब भी हैं सीमित

फाफामऊ के अनिल निषाद ने बताया कि आज भी उनके समुदाय का सबसे प्रमुख रोजगार का साधन गंगा नदी के किनारे होने वाली खेती पर ही निर्भर करता है। मछली बेचना, गंगा के किनारे खेती करना और नाव चलाना उनके रोजगार के सबसे प्रमुख साधन हैं। समाज में शिक्षा अभी भी बहुत कम है जिसके कारण युवाओं की बड़ी संख्या स्थानीय स्तर के रोजगार पर ही निर्भर है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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