नई दिल्ली, 14 मार्च 2025, शुक्रवार। होली का त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जा रहा है। वैसे तो होली की शुरुआत बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही हो जाती है लेकिन यह मुख्य रूप से फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाते हैं। यह रंगों का त्योहार है, लोग रंगों में सराबोर होकर इस त्योहार को मना रहे हैं। चारों तरफ खुशियां और उल्लास छाई हुई है। घरों में पकवान बन रहे हैं और बच्चे हाथ में पिचकारी लेकर मग्न दिख रहे हैं। होली का त्योहार सामाजिक मेलजोल बढ़ाने वाला त्यौहार है, जिसमें लोग भेदभाव भूलकर प्यार से एक दूसरे पर रंग गुलाल लगाते हैं।
इस त्योहार का महत्व इस बात में है कि यह हमें एकता और प्रेम की भावना को बढ़ावा देता है। होली के दिन लोग अपने दुश्मनों को भी भूलकर उन्हें गले लगाते हैं और रंग लगाते हैं। आज के दिन लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर होली का त्योहार मना रहे हैं। वे एक दूसरे को रंग लगा रहे हैं और होली के गीत गा रहे हैं। यह त्योहार हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में रंगों का महत्व है और हमें अपने जीवन में रंगों को बढ़ावा देना चाहिए।
रंगों का त्योहार: भगवान कृष्ण की कहानी से जुड़ी होली की परंपरा
होली का त्योहार रंगों का त्योहार है, जो भगवान कृष्ण की कहानी से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण को अपने गहरे रंग के कारण संदेह होता था कि राधा रानी और गोपियां उनसे प्रेम करेंगी भी या नहीं। इस पर माता यशोदा ने भगवान को सुझाव दिया कि वे राधा रानी और उनकी सखियों पर रंग डाल सकते हैं। भगवान कृष्ण ने ऐसा ही किया और राधा रानी और गोपियों पर रंग डाला। यह परंपरा आगे चलकर होली बन गई।
आज भी मथुरा, वृंदावन, बरसाना और नंदगांव में होली का त्योहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लोग रंगों में सराबोर होकर इस त्योहार को मनाते हैं और भगवान कृष्ण की कहानी को याद करते हैं। होली का त्योहार हमें यह सिखाता है कि जीवन में रंगों का महत्व है और हमें अपने जीवन में रंगों को बढ़ावा देना चाहिए। यह त्योहार हमें एकता और प्रेम की भावना को बढ़ावा देता है और हमें अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर जीवन को मनाने की प्रेरणा देता है।
होली की कहानी: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक
होली का त्योहार एक पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है, जो भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कहानी है। हिरण्यकश्यप एक अहंकारी राजा था जो खुद को भगवान समझता था और चाहता था कि हर कोई उसकी पूजा करे। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद उसकी पूजा न करके भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता था। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के लिए कई योजनाएं बनाईं, लेकिन हर बार प्रह्लाद बच जाता था।
अंत में हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को मारने का काम सौंपा। होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जल सकती थी। लेकिन जब वह प्रह्लाद को लेकर आग में बैठी तो वह जल गई और प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ। इस घटना के बाद से होली का त्योहार मनाया जाने लगा, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि सच्चाई और न्याय हमेशा जीतते हैं, चाहे कितनी भी बड़ी चुनौतियाँ क्यों न हों।
एकता बनी रहें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी देशवासियों को होली की शुभकामनाएं दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि आप सभी को होली की ढेरों शुभकामनाएं। हर्ष और उल्लास से भरा यह पावन-पर्व हर किसी के जीवन में नई उमंग और ऊर्जा का संचार करने के साथ ही देशवासियों की एकता के रंग को और प्रगाढ़ करे, यही कामना है।