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Monday, February 24, 2025

WHO द्वारा वेबसाइट पर भारत के मैप को गलत दिखाने के मामले में सरकार ने कड़ा रुख अपनाया

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अपनी वेबसाइट पर भारत के मैप को गलत दिखाने के मामले में सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। इस मामले से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि नई दिल्ली ने डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर-जनरल टेड्रोस अधनोम घेब्रेसस से दो टूक कहा है कि वे वेबसाइट पर लगे भारत के मैप को नए मैप से तुरंत बदलें। भारत की ओर से डब्ल्यूएचओ को भेजा गया पत्र एक महीने में तीसरा है। इससे पहले, 3 और 30 दिसंबर को डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर-जनरल के ऑफिस को पत्र भेजा जा चुका है। इसमें कहा गया था कि कोरोना वायरस डैशबोर्ड समेत वीडियोज और मैप भारत की वास्तविक सीमाओं को नहीं दर्शाते हैं।

पिछले सप्ताह, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि इंद्र मणी पांडे ने टेड्रोस के सामने यह आपत्ति दर्ज करवाई है। हमारे सहयोगी अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स ने उस पत्र को देखा है, जिसे इंद्र मणि पांडे ने 8 जनवरी को टेड्रोस को भेजा था। इसमें वे लिखते हैं, ”मैं डब्ल्यूएचओ के विभिन्न वेब पोर्टलों के नक्शे में भारत की सीमाओं को गलत दिखाने पर अपनी गहरी नाराजगी व्यक्त करने के लिए यह पत्र लिख रहा हूं। इस संबंध में, मैं डब्ल्यूएचओ को भेजे गए हमारे पिछले मैसेजों पर आपका ध्यान आकर्षित करता हूं जो इसी तरह की गतलियों की ओर इशारा करते हैं। मैं एक बार फिर से डब्ल्यूएचओ के विभिन्न वेब पोर्टलों से भारत की सीमाओं को गलत तरीके से दिखाने वाले नक्शे को तुरंत हटाने के लिए आपके तत्काल हस्तक्षेप का अनुरोध करता हूं।”

WHO ने भारत के इस मैप में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को देश से अलग दिखाया था। 5,168 स्क्वायर किलोमीटर में फैली शक्सगाम वैली, जिसे 1963 में अवैध रूप से पाकिस्तान द्वारा चीन को सौंप दिया गया था, उसे चीन का हिस्सा दिखा गया। वहीं, साल 1954 से चीन के कब्जे वाले अक्साई चिन क्षेत्र को हल्के नीले रंग की पट्टियों में दिखाया गया है। यह रंग उसी तरह का है, जिसका इस्तेमाल चीनी क्षेत्र को बताने के लिए किया जाता है।

बता दें कि भारत के गलत नक्शों को प्रकाशित करना भारतीय कानून के तहत अपराध है, जिसमें छह महीने की जेल की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है। साल 2016 में, सरकार ने इस सजा को सात साल तक की बढ़ाने और जजों को 100 करोड़ रुपये जुर्माना लगाने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, इस प्रस्ताव का जोकि 2016 में सरकार द्वारा प्रस्तावित एक भू-स्थानिक सूचना कानून का हिस्सा था, सरकार द्वारा अनुसरण नहीं किया गया था।

वहीं, इस मामले में एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि WHO द्वारा कोविड-19 को ट्रैक करने के लिए दिखाए जाने वाले भारत के इस गलत मैप का इस्तेमाल करना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा, ”भारत सरकार डब्ल्यूएचओ और इससे संबंधित अधिकारी से कॉन्टैक्ट करेगी, ताकि मैप को बदला जा सके।” अधिकारी ने कहा कि उन्हें डब्ल्यूएचओ प्रमुख पर भरोसा था, जिस पर अमेरिका ने चीन के पक्ष में कोरोना वायरस को लेकर खड़े होने का आरोप लगाया था, वे गलत मैप को ठीक करने के रास्ते में नहीं खड़े होंगे।

बता दें कि पिछले साल अमेरिका के दबाव के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर चीन के वुहान में अपनी एक एक्सपर्ट की टीम भेजने पर राजी हुआ था। इसके बाद 10 सदस्यी टीम चीन में जाने में कामयाब हो सकी है। हालांकि, वे अपने होटल से तभी बाहर निकल सकेंगे जब वे दो हफ्तों का अपना क्वारंटाइन समय बिता लेंगे। हालांकि, अभी भी कई देशों को आशंका है कि चीनी सरकार एक्सपर्ट टीम के सामने कई बाधाएं खड़ी कर सकती है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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