✍️ अनिता चौधरी
नई दिल्ली, 27 मार्च 2025, गुरुवार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान राम से जुड़े तीर्थों को नया स्वरूप देने में जुटे हैं। इसी कड़ी में पीएम मोदी अयोध्या के बाद तमिलनाडु में उस जगह से देशवासियों को एक खूबसूरत ब्रिज की सौगात देने जा रहे हैं, जहां कभी प्रभुराम के चरण पड़े थे। जी हां, साल 2025 की रामनवमी भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल लेकर आ रही है। रेलवे बोर्ड के सूचना एवं प्रचार विभाग के कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार ने कहा इस पावन अवसर पर, 6 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु के रामेश्वरम में देश के पहले वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज – “पंबन सी ब्रिज” का उद्घाटन करेंगे। यह न सिर्फ इंजीनियरिंग का एक चमत्कार है, बल्कि श्रद्धालुओं, पर्यटकों और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए एक नई जीवन रेखा भी साबित होगा। रेल मंत्रालय ने इस भव्य परियोजना को पूरा करने के लिए अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं, और यह भारत के बुनियादी ढांचे में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है।
पंबन सी ब्रिज: एक इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना
पंबन सी ब्रिज, जो मंडपम से रामेश्वरम तक समुद्र के बीच फैला है, करीब 2.08 किलोमीटर लंबा है। इसमें 100 स्पैन हैं, जिसमें से 99 स्पैन 18.3 मीटर और एक नेविगेशनल स्पैन 63 मीटर का है। यह पुल पुराने पंबन ब्रिज से 3 मीटर ऊंचा बनाया गया है, जिसकी वजह से इसका नेविगेशनल एयर क्लीयरेंस 22 मीटर तक पहुंचता है। इसकी खासियत इसका वर्टिकल लिफ्ट सिस्टम है, जो बड़े जहाजों के आवागमन के लिए पुल के एक हिस्से को ऊपर उठाने की सुविधा देता है। इलेक्ट्रो-मैकेनिकल कंट्रोल सिस्टम और काउंटरवेट मैकेनिज्म से लैस यह ब्रिज न केवल आधुनिक तकनीक का प्रतीक है, बल्कि बिजली की खपत को भी कम करता है।
535 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह ब्रिज रेल विकास निगम लिमिटेड की मेहनत का नतीजा है। नवंबर 2019 में पीएम मोदी ने इसकी आधारशिला रखी थी, और नवंबर 2024 में इसके ट्रायल पूरे होने के बाद अब यह जनता के लिए तैयार है। इस पर 80 से 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलाई जा सकेंगी, जिससे मंडपम से रामेश्वरम की दूरी महज 5 मिनट में तय हो जाएगी। पुराने ब्रिज में यह सफर 25 मिनट लेता था।
पुराने पंबन ब्रिज की कहानी
110 साल पहले बना पुराना पंबन ब्रिज श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं था। 1914 में ब्रिटिश सरकार द्वारा शुरू किया गया यह पुल रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ने वाला पहला माध्यम था। शुरू में श्रीलंका के साथ व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से इसकी योजना बनी थी, लेकिन समय के साथ यह तीर्थयात्रियों की आस्था का सहारा बन गया। जर्जर हालत के चलते इसे 2022 में बंद करना पड़ा, लेकिन इसकी विरासत को नया पंबन ब्रिज आगे बढ़ाएगा।
रामेश्वरम के लिए नई संभावनाएं
रामेश्वरम, हिंदुओं के चार धामों में से एक, सालाना 25 लाख श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। रामनाथस्वामी मंदिर और रामसेतु की पौराणिक मान्यता इसे खास बनाती है। मान्यता है कि प्रभु श्रीराम ने अपनी वानर सेना के साथ यहीं से लंका के लिए सेतु बनाया था। ऐसे में रामनवमी के दिन इस ब्रिज का उद्घाटन सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से भी खास है। नया ब्रिज न केवल यात्रा को आसान बनाएगा, बल्कि पर्यटन और माल ढुलाई को भी बढ़ावा देगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।
विश्व में पंबन ब्रिज की पहचान
दुनिया में ऐसे गिने-चुने ब्रिज हैं जो वर्टिकल लिफ्ट तकनीक से लैस हैं। लंदन का टावर ब्रिज इसका एक उदाहरण है, हालांकि वह सड़क यातायात के लिए है। वहीं, चीन का डेनयांग-कुशान ग्रैंड ब्रिज सबसे लंबा रेलवे सी ब्रिज है। लेकिन भारत का पंबन ब्रिज अपनी अनूठी तकनीक और सांस्कृतिक महत्व के कारण वैश्विक पटल पर अलग पहचान बनाएगा।
पंबन सी ब्रिज सिर्फ एक ढांचा नहीं, बल्कि भारत की प्रगति, आस्था और नवाचार का प्रतीक है। यह देश के कोने-कोने से रामेश्वरम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक नया रास्ता खोलेगा। पीएम मोदी के नेतृत्व में शुरू हुई यह परियोजना आधुनिक भारत के सपनों को साकार करती है, जहां परंपरा और तकनीक का संगम एक नई कहानी लिख रहा है। 6 अप्रैल 2025 को जब यह ब्रिज खुलेगा, तो यह सिर्फ रामेश्वरम को मुख्य भूमि से नहीं जोड़ेगा, बल्कि भारत के गौरव को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।