देवकी और वासुदेव की 8वीं संतान जिन्हें दुनिया भगवान कृष्ण के नाम से जानती और उनकी पूजा करती है। द्वापर युग में जन्मे श्री कृष्ण भले ही कारागार में पैदा हुए हों लेकिन इनकी कैद आज भी कलयुग में बरकरार है। कृष्ण, राधा और बलराम कानूनी दाव-पेच के चलते कानूनी शिकंजे में कैद हैं और अभी तक आजाद नहीं हो सके हैं। द्वापर में जन्में भगवान श्री कृष्ण मथुरा नरेश कंस की जेल से पलभर में बाहर आ गए थे, लेकिन कलयुग में भगवान कानूनी दांव पेंच में कुछ यूं फंसे कि बीते 22 वर्षों से कोतवाली के मालखाने में ही बंद हैं। 22 साल पहले एक मंदिर से राधा कृष्ण और बलराम सहित 5 बेशकीमती अष्टधातु मूर्तियों की चोरी की थी। पुलिस ने चोरों को गिरफ्तार कर मूर्ति भी बरामद कर लीं। कुछ समय बाद चोरों को जमानत मिल गई लेकिन भगवान श्री कृष्ण आज भी अपनी रिहाई के इंतजार में हैं।
कानपुर देहात का शिवली थाना किसी परिचय का मोहताज नहीं है। इसी थाने में राज्यमंत्री संतोष शुक्ला को कुख्यात अपराधी विकास दुबे ने मार दिया था, जिसके बाद से ये थाना चर्चा में रहा। अब ये थाना भगवान के कैदखाने के तौर पर जाना जाता है। जहां 21 साल पहले 12 मार्च 2002 को एक प्राचीन मंदिर से 4 चोरों ने राधा कृष्ण सहित 5 बेशकीमती अष्टधातु की मूर्तियां चुरा लीं। घटना की रिपोर्ट मंदिर के सर्वराकार ने दर्ज कराई थी। इसके 7 दिनों के बाद ही पुलिस ने चोरी हुई मूर्तिया बरामद कर 4 चोरों को गिरफ्तार कर लिया। सभी को जेल भेजा गया लेकिन कुछ दिनों के बाद ही आरोपितों को जमानत मिल गई और जेल से रिहा हो गए। लेकिन लीलाधर,माखन चोर प्रभु श्री कृष्ण कानूनी दांव पेंच में ऐसे उलझे की अब तक न उनकी रिहाई हुई और न वो अपने मंदिर में दोबारा पहुंच पाए।
प्रत्येक वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर इन मूर्तियों को मालखाने से बाहर निकाल कर स्नान आदि कराने के बाद उन्हें नए वस्त्र पहनाए जाते हैं और उनकी धूमधाम से पूजा अर्चना की जाती हैं। लेकिन सवाल यह भी है कि मंदिर से मूर्तियों की चोरी की घटना को अंजाम देने वाले चोर जेल से बाहर खुलेआम घूम रहे हैं और राधा, कृष्ण, बलराम सहित उनका परिवार अब तक बाहर नहीं आ पाया है। अब देखना बाकी है की कलयुग में श्री कृष्ण कब इस कैद से मुक्त होते हैं।