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Sunday, November 17, 2024

‘बंटोगे तो कटोगे’ के बाद अब क्‍या बोल दिया… अयोध्या में गरजे सीएम योगी… दिखा रौद्र रूप!

अयोध्या, 31 अक्टूबर 2024, गुरुवार। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन हुआ। इस अवसर पर 28 लाख दीप जलाए गए और सीएम योगी ने सनातन धर्म की महिमा का बखान किया। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में दीपोत्सव के अवसर पर एक नए अंदाज में अपनी बात रखी। उनके बयान ने सबको आश्चर्यचकित कर दिया और इसकी चर्चा हर ओर होने लगी। योगी आदित्यनाथ के बयान पर प्रतिक्रियाएं भी आने लगीं। कुछ लोगों ने उनके बयान की सराहना की, जबकि अन्य ने इसकी आलोचना की। लेकिन यह तय है कि योगी आदित्यनाथ का यह नया अवतार सबको पसंद आया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे योगी आदित्यनाथ क्या बयान देते हैं और उनके बयानों का क्या प्रभाव पड़ता है।
दरसल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में दीपोत्सव के अवसर पर सनातन धर्म और संघर्ष पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। यह बयान रामलला के विराजमान होने के बाद अयोध्या में पहले दीपोत्सव के मौके पर आया है। योगी आदित्यनाथ का यह बयान उनके दार्शनिक दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसमें उन्होंने सनातन धर्म की महत्ता और इसके मूल्यों को उजागर किया है। इससे पहले, यह अनुमान लगाया जा रहा था कि योगी आदित्यनाथ इस अवसर पर विधानसभा के उपचुनावों पर असर डालने वाला कोई राजनीतिक बयान दे सकते हैं, लेकिन उन्होंने इसके बजाय सनातन धर्म पर अपनी बात रखी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, साढ़े 3 लाख साधु-संतों ने अपनी तमन्ना पूरी करने के लिए संघर्ष किया, जो 500 सालों में पूरा हुआ। आज अयोध्या में भव्य रामलला विराजमान हैं, जो 500 सालों के संघर्षों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि 500 वर्षों का इंतजार समाप्त हो गया है और रामलला अपने धाम और जन्मभूमि में विराजमान हो गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह उन सभी आत्माओं का स्मरण करने का समय है जिन्होंने अपना जीवन श्रीराम जन्मभूमि के लिए समर्पित किया था और जिन्होंने इसके लिए बलिदान दिया था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह बयान उनकी सरकार की उपलब्धियों और अयोध्या के विकास पर जोर देने के लिए दिया गया है। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने जो कहा, वह करके दिखाया है, खासकर अयोध्या में जहां पहले बिजली नहीं मिलती थी, सड़कें खराब थीं और मठ-मंदिर जर्जर हो गए थे। लेकिन अब यहां की स्थिति में काफी सुधार हुआ है ।
योगी आदित्यनाथ का दार्शनिक अंदाज इस बार देखने को मिला, जो उनके राजनीतिक जीवन में कम ही दिखाई देता है। उन्होंने सनातनियों को संघर्ष का रास्ता अख्तियार करने की सलाह दी, जो उनकी धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह बयान योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व शैली को भी दर्शाता है, जो अक्सर उनके विरोधियों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। उनकी राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण ने उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में सफल बनाया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि योगी आदित्यनाथ का यह दार्शनिक अंदाज आगे कैसे विकसित होता है और इसका क्या प्रभाव उनके राजनीतिक जीवन पर पड़ता है।
बता दें, योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक जीवन काफी उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। वह 1998 से 2017 तक गोरखपुर से सांसद रहे और 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उनकी छवि एक हिंदुत्ववादी राष्ट्रवादी और सामाजिक रूढ़िवादी की है। उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी नामक संगठन भी बनाया है, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में काफी सक्रिय है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने कई विकास कार्यक्रम चलाए हैं, जिनमें अयोध्या का विकास भी शामिल है।

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