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Friday, August 8, 2025

पश्चिमी पाकिस्तान रिफ्यूजियों को अब जमीन खोने का डर

अनुच्छेद 370 हटा तो 70 साल बाद पश्चिमी पाकिस्तान रिफ्यूजियों को जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिली। प्रदेश में नौकरी का अधिकार मिला, लेकिन यह खुशी उनके खाते में ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकी। अब भी उनके जख्म भरे नहीं हैं। अब उन्हें रोजी-रोटी की चिंता सताने लगी है। साठ साल से दरिया व खड्ड किनारे उनके कब्जे में जो जमीन थी, जिस पर खेती कर वे गुजर-बसर कर रहे थे उससे उनका नाम हटा कर सरकारी जमीन का बोर्ड लगा दिया गया है

पश्चिमी पाकिस्तान रिफ्यूजी ज्यादातर जम्मू और कठुआ जिले में हैं। सरकार ने पश्चिमी पाकिस्तान से आए 5764 परिवारों को पंजीकृत किया था। इन्हें 1954 में 46666 कनाल जमीन सरकार ने आवंटित की। ये जमीनें बॉर्डर से सटे आरएस पुरा इलाके के बड़ियाल काजिया, जंगलैड, कुतुब निजाम, चौहाला आदि गांवों में हैं जो पहले मुस्लिम बाहुल्य था। यहां के लोग बंटवारे के दौरान पाकिस्तान चले गए थे। इनकी जमीनें ही पश्चिमी पाकिस्तान से आए रिफ्यूजियों को आवंटित कर दी गईं।

पश्चिमी पाकिस्तान रिफ्यूजी एक्शन कमेटी का कहना है कि इसके अलावा भी पश्चिमी पाकिस्तान से लोग आए, जो विभिन्न इलाकों में बस गए। कठुआ में हीरानगर, कीड़ियां गंडियाल और अखनूर में बसे इन लोगों ने दरिया और खड्ड किनारे की जमीनों को समतल कर खेती करना शुरू कर दिया। पिछले 60 साल से इनके नाम गिरदावरी (जमीन पर कब्जे व फसल चक्र की रिपोर्ट) चल रही थी।

अब यह सारी गिरदावरियां कट गई हैं। यहां सरकारी जमीन का बोर्ड लग गया है और खेती न करने को कहा गया है। हालांकि, सरकार ने अभी जमीन नहीं ली है, लेकिन जमीन जाने का खतरा मंडरा रहा है। पश्चिमी पाकिस्तान रिफ्यूजी परगवाल इलाके के भोला राम का कहना है कि उनके पास तो रोजी-रोटी का यही एकमात्र साधन था, अब वह भी हाथ से निकल गया। कितने दिनों तक इस जमीन पर खेती कर पाएंगे यह कहना मुश्किल है क्योंकि कानूनन अधिकार नहीं रह गया है।

पश्चिमी पाकिस्तान रिफ्यूजियों का कहना है कि चूंकि अनुच्छेद 370 व 35ए की वजह से उनके पास स्टेट सब्जेक्ट सर्टिफिकेट नहीं था, इस वजह से वे रोशनी एक्ट का भी लाभ नहीं उठा पाए। उस दौरान रोशनी एक्ट के तहत 100 रुपये प्रति कनाल दर निर्धारित की गई थी। राज्य के स्टेट सब्जेक्ट धारकों ने इस योजना का लाभ उठाया, लेकिन वे इससे वंचित रह गए। अन्यथा उनके नाम पर भी जमीन हो सकती थी। कई लोगों ने मकान तो बनवा लिए हैं, लेकिन जमीन की रजिस्ट्री उनके नाम नहीं हो पाई है।

पश्चिमी पाकिस्तान रिफ्यूजी एक्शन कमेटी के चेयरमैन लब्बा राम गांधी के अनुसार कमेटी के पास 21,159 परिवारों का रिकॉर्ड है, लेकिन सरकारी आंकड़े में यह संख्या 5764 ही है। केंद्र सरकार की ओर से घोषित एकमुश्त सहायता योजना के तहत साढ़े पांच लाख रुपये चार साल बाद अब तक मात्र 300 परिवारों को ही मिल पाया है।

370 हटने के बाद पहली बार मताधिकार का अधिकार मिला, लेकिन परिसीमन रिपोर्ट में उन्हें कोई तवज्जो नहीं मिली। उनका कहना है कि आज न तो वे रिफ्यूजी हैं और न ही विस्थापित। उन्हें किसी भी कैटगरी का लाभ नहीं मिल रहा है। आखिर सरकार को बताना चाहिए कि वे क्या हैं।

 

 

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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