नई दिल्ली, 3 मई 2025, शनिवार। मुंबई, सिनेमा की चकाचौंध और कहानियों का शहर, एक बार फिर मनोरंजन की दुनिया में नई उम्मीदों का केंद्र बना। वेव्स 2025 (वर्ल्ड ऑफ ऑडियो-विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट) के मंच पर बॉलीवुड के ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ आमिर खान ने न सिर्फ मोदी सरकार की पहल की तारीफ की, बल्कि भारतीय सिनेमा के सामने खड़ी सबसे बड़ी चुनौती- थिएटर्स और स्क्रीन्स की कमी- पर भी खुलकर बात की।
मोदी सरकार को धन्यवाद, एक नई शुरुआत
वेव्स समिट के दूसरे दिन ‘स्टूडियोज ऑफ द फ्यूचर: पुटिंग इंडिया ऑन वर्ल्ड स्टूडियो मैप’ सत्र में आमिर ने कहा, “मेरे 35 साल के करियर में पहली बार किसी सरकार ने मनोरंजन और मीडिया क्षेत्र के लिए इतना गंभीर प्रयास किया है।” उन्होंने वेव्स जैसे वैश्विक मंच की सराहना करते हुए इसे फिल्म निर्माताओं के लिए सुनहरा अवसर बताया। आमिर का मानना है कि सरकार की यह पहल सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि भविष्य की नीतियों का आधार बनेगी। यह मंच आधुनिक तकनीक और पारंपरिक कला को जोड़कर, भारतीय सिनेमा को वैश्विक पटल पर और मजबूती देगा।
सिनेमा हॉल की कमी: भारत की सबसे बड़ी चुनौती
आमिर ने भारतीय सिनेमा के सामने सबसे बड़ी रुकावट को रेखांकित किया- सिनेमा हॉल और स्क्रीन्स की भारी कमी। उन्होंने कहा, “भारत एक फिल्म प्रेमी देश है, लेकिन हमारे अधिकांश लोग सिनेमा हॉल तक पहुंच ही नहीं पाते। कई जिले और क्षेत्र ऐसे हैं, जहां एक भी थिएटर नहीं है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को और अधिक थिएटर्स में निवेश करना होगा, क्योंकि यही वह मंच है जहां कहानियां जीवंत होती हैं।
आंकड़ों के साथ अपनी बात को और पुख्ता करते हुए आमिर ने बताया, “भारत में सिर्फ 10,000 स्क्रीन्स हैं, जबकि अमेरिका में, जिसकी आबादी हमारी एक-तिहाई है, 40,000 स्क्रीन्स हैं। चीन तो 90,000 स्क्रीन्स के साथ हमसे बहुत आगे है।” उन्होंने कहा कि स्क्रीन्स की कमी न केवल कहानियों को दर्शकों तक पहुंचने से रोकती है, बल्कि प्रोडक्शन और रिलीज के बीच तालमेल की कमी भी भारतीय सिनेमा को वैश्विक स्तर पर पीछे रखती है।
मनोरंजन का बदलता स्वरूप और भारत की संभावनाएं
आज की दुनिया में मनोरंजन अब किसी एक मंच तक सीमित नहीं है। गेमिंग, म्यूजिक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का वर्चुअल वर्ल्ड, और सिल्वर स्क्रीन- हर माध्यम में दर्शक और मंच दोनों मौजूद हैं। आमिर ने कहा, “मनोरंजन का स्वरूप बदल गया है, लेकिन इसका मकसद वही है- लोगों के दिलों को छूना।” भारत में मनोरंजन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इन्हें साकार करने के लिए स्क्रीन्स की संख्या बढ़ाना और बुनियादी ढांचे में निवेश जरूरी है।