प्रयागराज, 16 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण संगम क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। मंगलवार, 15 जुलाई को दोपहर करीब 2:30 बजे गंगा और यमुना का पानी संगम क्षेत्र के प्रसिद्ध बड़े हनुमान मंदिर में प्रवेश कर गया। यह घटना स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि यह सावन मास के पहले मंगलवार को हुआ, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
मंदिर में जलाभिषेक और भक्तों में उत्साह
जैसे ही गंगा का पानी मंदिर के गर्भगृह में पहुंचा, भक्तों ने भगवान हनुमान और मां गंगा की जय-जयकार शुरू कर दी। मंदिर के मुख्य पुजारी महंत बलवीर गिरी ने बताया कि पानी के मंदिर में प्रवेश के बाद गंगा और हनुमान जी की आरती की गई, साथ ही अभिषेक भी किया गया। परंपरा के अनुसार, मंदिर के बड़े हनुमान जी की मूर्ति को पानी से स्नान कराने के बाद एक छोटी मूर्ति को ऊपरी हिस्से में स्थापित किया गया है, जहां अब पूजा-अर्चना होगी। मंदिर का मुख्य द्वार बाढ़ के पानी के कारण बंद कर दिया गया है।
जलस्तर की स्थिति और प्रशासन की सतर्कता
जिला सिंचाई विभाग के अनुसार, मंगलवार शाम 4 बजे तक गंगा का जलस्तर फाफामऊ में 81.74 मीटर, छतनाग में 81.09 मीटर और बक्सी एसटीपी में 81.55 मीटर दर्ज किया गया। वहीं, यमुना का जलस्तर नैनी में 81.51 मीटर था। दोनों नदियों का खतरे का निशान 84.73 मीटर है, और वर्तमान में जलस्तर इससे करीब 3 मीटर नीचे है। फिर भी, जलस्तर में तेजी से हो रही वृद्धि ने प्रशासन को सतर्क कर दिया है।
सोमवार से ही बाढ़ का पानी मंदिर के सामने की सड़क और गंगा पथ को डुबो चुका था। मंगलवार सुबह तक पानी मंदिर के द्वार तक पहुंच गया और दोपहर तक गर्भगृह में प्रवेश कर गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कई दशकों में पहली बार है जब मध्य जुलाई में बाढ़ का पानी मंदिर में इतनी जल्दी पहुंचा, क्योंकि यह आमतौर पर अगस्त में होता है।
बाढ़ का खतरा और प्रशासनिक तैयारी
गंगा और यमुना के बढ़ते जलस्तर ने निचले इलाकों, जैसे कछारी मोहल्लों और बेली गांव की सुंदरम कॉलोनी, में बाढ़ का खतरा बढ़ा दिया है। लोग अपने सामान को सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे हैं। जिला प्रशासन ने 88 बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर दिया है और एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं। अधिकारियों को नदी किनारे बसे 57 गांवों पर विशेष निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
स्थानीय मान्यता और सावन का महत्व
स्थानीय लोगों का मानना है कि गंगा का पानी हर साल मंदिर में प्रवेश कर हनुमान जी को स्नान कराता है, और इसके बाद जलस्तर कम होने लगता है। इस बार सावन के पहले मंगलवार को यह घटना होने से भक्तों में उत्साह और आध्यात्मिक उमंग देखी गई। प्रयागराज में बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन ने श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों से नदी किनारे सावधानी बरतने की अपील की है।