नई दिल्ली, 21 जनवरी 2025, मंगलवार। विश्व बैंक द्वारा नियुक्त एक तटस्थ विशेषज्ञ ने किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच कुछ विवादों को सुलझाने के लिए रूपरेखा पर नयी दिल्ली के रुख का समर्थन किया है। यह विवाद सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के तहत आता है, जिसे 1960 में दोनों देशों ने सीमापार नदियों से संबंधित मुद्दों का प्रबंधन करने के उद्देश्य से हस्ताक्षरित किया था।
भारत और पाकिस्तान के बीच मुख्य मुद्दा यह है कि दोनों देश विवाद को सुलझाने के लिए अलग-अलग तरीकों का समर्थन कर रहे हैं। भारत तटस्थ विशेषज्ञ द्वारा समाधान का समर्थन करता है, जबकि पाकिस्तान हेग में स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के माध्यम से समाधान चाहता है।
विश्व बैंक द्वारा नियुक्त तटस्थ विशेषज्ञ, माइकल लीनो, ने फैसला किया है कि वह दोनों देशों के बीच मतभेदों के गुण-दोष पर निर्णय देने के लिए सक्षम हैं। भारत ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि यह उनके रुख का समर्थन करता है।
इस मामले में आगे की कार्यवाही में तटस्थ विशेषज्ञ द्वारा सात मतभेदों पर गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जाएगा। भारत ने कहा है कि वह तटस्थ विशेषज्ञ प्रक्रिया में भाग लेना जारी रखेगा और मध्यस्थता न्यायालय की कार्यवाही में भाग नहीं लेगा।