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Friday, November 22, 2024

वसीम रिजवी ने फिर बदला नाम, ब्राह्मण से बने ठाकुर!

नई दिल्ली, 1 नवंबर 2024, शुक्रवार। शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने अपना धर्म बदलकर हिंदू धर्म अपनाया था और अपना नाम जितेंद्र नारायण त्यागी रखा था। अब उन्होंने अपनी जाति भी बदल ली है और ब्राह्मण के बाद वे अब ठाकुर बन गए हैं। उन्होंने अपना नाम जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर कर लिया है। उनके इस फैसले के पीछे की मंशा क्या है, यह तो समय ही बताएगा। वसीम रिजवी का जीवन हमेशा से विवादों से घिरा रहा है, चाहे वह उनके बयानों के कारण हो या उनके कार्यों के कारण। उन्हें इस्लाम-विरोधी होने का आरोप भी लगाया गया है और इस्लामी इमामों द्वारा उन्हें इस्लाम से खारिज कर दिया गया है। हालांकि, यह बदलाव उनके जीवन में एक नया मोड़ लाएगा, लेकिन यह भी देखना होगा कि इसका उनके भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर, जिन्हें पहले वसीम रिजवी के नाम से जाना जाता था, ने दिवाली की शुभकामनाएं देते हुए अपना नया नाम सार्वजनिक किया है। आपको याद होगा कि वसीम रिजवी ने 2021 में इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाया था, जिसके बाद वे विवादों में घिर गए थे। इस्लाम के धर्म गुरुओं ने उनके खिलाफ फतवे जारी किए थे और उनके परिवार में भी विवाद खड़ा हो गया था। उनकी मां और भाई ने भी उनसे नाता तोड़ लिया था। वसीम रिजवी पर अक्सर इस्लाम के धर्म गुरुओं के बारे में विवादित बयानबाजी के आरोप लगते रहे हैं। अब, जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर के नाम से जाने जाने वाले वसीम रिजवी ने अपनी नई पहचान के साथ दिवाली की शुभकामनाएं दी हैं। यह उनके जीवन में एक नया अध्याय शुरू करने की ओर इंगित करता है, लेकिन यह भी सवाल उठाता है कि क्या यह बदलाव उनके व्यक्तिगत विकास की ओर है या कोई और कारण है।
वसीम रिजवी (अब जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर) शिया वक्फ सेंट्रल बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हैं और 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के सत्ता में आने के बाद से वे चर्चा में बने हुए हैं। उन्होंने मदरसा शिक्षा को आतंकवाद से जोड़ने और कुतुब मीनार को हटाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिससे वे विवादों में घिर गए थे। वसीम रिजवी ने मदरसों में चरमपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था, जिससे शिया और सुन्नी दोनों समुदायों में भारी विरोध हुआ। इसके बाद दोनों संप्रदायों के उलेमाओं ने उनके खिलाफ फतवा जारी किया, जिसके बाद रिजवी ने दावा किया कि उन्हें इस्लाम से निकाल दिया गया है। यह घटना उनके विवादास्पद विचारों का एक उदाहरण है, जिससे वे अक्सर विवादों में घिरे रहते हैं।

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