कजान, 23 अक्टूबर 2024, बुधवार। रूस के कजान शहर में 16वें ब्रिक्स समिट से इतर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पीएम मोदी के बीच गहरी दोस्ती की झलक देखने को मिली। पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के हुई द्विपक्षीय मुलाकात में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भी उनके साथ बैठे दिखे। इस द्विपक्षीय वार्ता में रूसी राष्ट्रपति ने कुछ ऐसा कहा जिससे बैठक में मौजूद सारे लोग हंस पड़े। दरसल, द्विपक्षीय बैठक में रूसी राष्ट्रपति ने कहा, हमारे संबंध इतने मजबूत हैं कि आप (पीएम मोदी) बिना किसी अनुवाद के मेरी बात समझ जाएंगे। इस पर गवर्नर पैलेस के कमरे में हंसी की लहर दौड़ गई। पीएम मोदी भी पुतिन की इस बात पर अपनी हंसी नहीं रोक पाए।
इसके बाद रूसी राष्ट्रपति ने जुलाई में प्रधानमंत्री मोदी की मास्को यात्रा के दौरान हुई ‘सार्थक वार्ता’ को याद किया। राष्ट्रपति पुतिन ने कहा, कजान में हमें कई अहम फैसले लेने होंगे, जिनका उद्देश्य एसोसिएशन की गतिविधियों को और बेहतर बनाना तथा इसके ढांचे के भीतर बहुआयामी सहयोग को मजबूत करना है। राष्ट्रपति पुतिन ने कहा, रूस और भारत के बीच जो सहयोग चल रहा है, उसे हम बहुत अहम मानते हैं। दोनों देश मूल सदस्य देश हैं ब्रिक्स के। रूस और भारत के बीच स्पेशल स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप है। ये रिश्ता बढता रहेगा। हमारे विदेश मंत्री संपर्क में रहते हैं। हमारे व्यापार भी आगे बढ़ रहा है। 12 दिसंबर को नई दिल्ली में अगली बैठक भी होगी। हमारी बड़ी योजनाएं विकसित हो रही हैं।
रूसी राष्ट्रपति ने कहा, कजान में भारत के महावाणिज्य दूतावास खोलने के आपके फैसले का स्वागत करते हैं। रूस में भारत की राजनयिक उपस्थिति का विस्तार द्विपक्षीय संबंधों के और विकास में योगदान देगा। जुलाई में, पीएम मोदी की रूस यात्रा के दौरान पुतिन ने भारतीय पीएम को रूस के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल द फर्स्ट-कॉल से सम्मानित किया। विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने दोनों देशों के बीच बढ़ते संबंधों की सराहना करते हुए कहा, अगर आप आजादी के बाद रूस के साथ हमारे इतिहास को देखें, तो रूस ने कभी भी हमारे हितों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाला कुछ नहीं किया है। प्रमुख देशों में, ऐसे बहुत कम देश हैं जिनके बारे में आप ऐसा कह सकते हैं।
बातचीत से हो रूस-यूक्रेन संकट का हल
पीएम मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे जंग को लेकर कहा कि वे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ लगातार संपर्क में है। भारत मानता है कि संघर्ष का समाधान शांतिपूर्ण होना चाहिए। हम मानव जाति को ध्यान में रखते हुए शांति और स्थिरता का समर्थन करते हैं। हमारी सभी कोशिश मानवता को प्रमुखता देना है। आने वाले समय में इसके लिए भारत हर संभव सहयोग देने को तैयार है।