नई दिल्ली, 15 अप्रैल 2025, मंगलवार। वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 16 अप्रैल को होने वाली सुनवाई से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने अपनी कमर कस ली है। पांच NDA शासित राज्यों—असम, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और महाराष्ट्र—ने इस कानून के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। इन राज्यों का कहना है कि चूंकि इस कानून को लागू करने की जिम्मेदारी उनकी है और उनके पास प्रासंगिक डेटा व रिकॉर्ड मौजूद हैं, इसलिए उन्हें इस मामले में पक्षकार बनाया जाना चाहिए।
इन राज्यों ने वक्फ संशोधन अधिनियम को संवैधानिक बताते हुए इसके विरोध में दी गई दलीलों को खारिज किया है। याचिकाओं में दावा किया गया है कि यह कानून संविधान का उल्लंघन करता है, लेकिन NDA शासित राज्यों का तर्क है कि संशोधन ने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए जरूरी सुधार किए हैं। उनका कहना है कि इस कानून को संसदीय समितियों, अंतर-मंत्रालयी चर्चाओं और हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद ही पारित किया गया।
संशोधन का एक प्रमुख बिंदु वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकना है। राज्यों ने बताया कि पुराने कानून की धारा 40 के तहत मनमानी अधिसूचनाओं की शिकायतें थीं। नए अधिनियम में अब भूमि राजस्व रिकॉर्ड में बदलाव से पहले सार्वजनिक नोटिस को अनिवार्य किया गया है, जो पारदर्शिता को बढ़ावा देगा। इसके अलावा, यह कानून सभी वर्गों के साथ समान व्यवहार करता है और संविधान के अनुच्छेद 25 व 26 का उल्लंघन नहीं करता, क्योंकि यह धार्मिक प्रथाओं या प्रबंधन में हस्तक्षेप नहीं करता, बल्कि केवल संपत्तियों के नियमन के लिए एक ढांचा प्रदान करता है।
सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट में गहमागहमी बढ़ गई है। कुछ वकीलों ने अतिरिक्त अर्जियों को भी कल की सुनवाई में शामिल करने की मांग की। वकील विष्णु शंकर जैन ने सामाजिक कार्यकर्ता पारूल खेडा की ओर से कानून के समर्थन में, जबकि वकील संजय हेगड़े ने इसके खिलाफ अर्जी दाखिल की है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने कहा कि सभी अर्जियां रजिस्ट्री में जमा कराई जाएं और सूचीबद्ध मामलों पर सुनवाई होगी।
16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली इस सुनवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं। यह मामला न केवल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़ा है, बल्कि संवैधानिकता और प्रशासनिक सुधारों के व्यापक सवालों को भी उठाता है। NDA का दावा है कि यह कानून वक्फ व्यवस्था को और मजबूत करेगा, जबकि याचिकाकर्ता इसे संविधान के खिलाफ बता रहे हैं। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस विवाद पर अंतिम मुहर लगाएगा।