नई दिल्ली, 15 अप्रैल 2025, मंगलवार। भारत की सियासत में एक बार फिर तीखी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। इस बार मुद्दा है वक्फ प्रॉपर्टी और अल्पसंख्यकों के अधिकार, जिसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग को हवा दी है। आंबेडकर जयंती के मौके पर हरियाणा के यमुनानगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस की नीयत पर सवाल खड़े किए। दूसरी ओर, कांग्रेस ने भी पलटवार में कोई कसर नहीं छोड़ी, खासकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पीएम के बयानों को आड़े हाथों लिया।
मोदी का तंज: कांग्रेस की नीयत और वक्फ का सच
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में वक्फ संपत्तियों के इस्तेमाल को लेकर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस वाकई मुसलमानों की हितैषी होती, तो वह किसी मुस्लिम नेता को पार्टी का अध्यक्ष क्यों नहीं बनाती? पीएम ने तंज कसते हुए कहा, “कांग्रेस की नीयत कभी किसी का भला करने की नहीं थी, न ही मुसलमानों का। अगर वक्फ की जमीनों का सही इस्तेमाल हुआ होता, तो मेरे मुस्लिम नौजवानों को साइकिल के पंक्चर जोड़कर जिंदगी न गुजारनी पड़ती।” उनके इस बयान ने न केवल वक्फ बिल को लेकर बहस छेड़ दी, बल्कि कांग्रेस को जवाब देने के लिए मजबूर कर दिया।
मोदी ने यह भी दावा किया कि उनकी सरकार वक्फ संपत्तियों की लूट को रोकने के लिए कदम उठा रही है, ताकि गरीबों की जमीनें सुरक्षित रहें। उनके बयान ने सियासी माहौल को गरमा दिया, और कांग्रेस ने इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश करार दिया।
दिग्विजय का पलटवार: बीजेपी पर अल्पसंख्यक विरोधी होने का आरोप
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पीएम के बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “क्या देश में पंक्चर बनाने वाले सिर्फ मुसलमान हैं? पीएम मोदी की सोच नाथूराम गोडसे की विचारधारा से प्रेरित है, महात्मा गांधी की नहीं।” दिग्विजय ने बीजेपी पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ माहौल बनाने का आरोप लगाया और सवाल उठाया कि अगर बीजेपी को मुसलमानों की इतनी ही चिंता है, तो वह अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर किसी मुस्लिम नेता को क्यों नहीं बिठाती?
दिग्विजय ने बीजेपी शासित राज्यों में अल्पसंख्यकों के साथ “दुश्मनों जैसा व्यवहार” होने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि अल्पसंख्यकों को झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है, उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है, और उनके हितों की रक्षा के लिए बने संवैधानिक प्रावधानों की अनदेखी हो रही है।
वक्फ बिल और चर्च पर निशाना?
वक्फ बिल को लेकर भी दिग्विजय सिंह ने सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि जिस दिन वक्फ बिल पास हुआ, उसके अगले ही दिन बीजेपी ने चर्च पर निशाना साधना शुरू कर दिया। “बीजेपी किसी की सगी नहीं है। उनका अगला टारगेट चर्च ही है,” दिग्विजय ने तंज कसते हुए कहा। उनके इस बयान ने सियासी हलकों में नई बहस को जन्म दे दिया है।
सियासत का नया रंग: क्या है असली मुद्दा?
यह पूरा विवाद न केवल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उनके दुरुपयोग के सवाल को सामने लाता है, बल्कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सियासी दलों की मंशा पर भी गहरी बहस छेड़ता है। पीएम मोदी जहां वक्फ संपत्तियों के जरिए गरीबों के हितों की बात कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ साजिश के तौर पर पेश कर रही है।
इस सियासी घमासान में सवाल यह है कि क्या यह विवाद वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर बनाने की दिशा में ले जाएगा, या फिर यह केवल वोटबैंक की राजनीति का एक और हथियार बनकर रह जाएगा? जनता की नजर अब दोनों दलों के अगले कदम पर टिकी है, क्योंकि यह मुद्दा न केवल सियासी, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी संवेदनशील है।