नई दिल्ली, 3 अप्रैल 2025, गुरुवार। भारत की संसद में बुधवार की देर रात एक ऐसा फैसला हुआ, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। लोकसभा ने बहुमत के साथ वक्फ (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी। इस विधेयक के पक्ष में 288 सांसदों ने वोट दिया, जबकि 232 ने इसका विरोध किया। निचले सदन से पास होने के बाद अब यह बिल गुरुवार को राज्यसभा के सामने पेश होने के लिए तैयार है। लेकिन इस विधेयक ने न केवल संसद, बल्कि देश भर में बहस को जन्म दे दिया है।
राहुल गांधी का तीखा हमला
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस बिल को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने इसे “भारत के मूल विचार पर हमला” करार देते हुए कहा कि यह विधेयक मुसलमानों को हाशिए पर धकेलने और उनके निजी कानूनों व संपत्ति अधिकारों को छीनने का हथियार है। अपने एक्स पोस्ट में राहुल ने इसे संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन बताया, जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह बिल आज मुसलमानों को निशाना बना रहा है, लेकिन भविष्य में अन्य समुदायों के खिलाफ भी इसका इस्तेमाल हो सकता है। कांग्रेस पार्टी ने इस कानून का पुरजोर विरोध करने का ऐलान किया है।
12 घंटे की बहस, देर रात फैसला
सरकार की ओर से अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार दोपहर 12 बजे इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया। इसके बाद करीब 12 घंटे से अधिक समय तक चली तीखी बहस के बाद देर रात इसे पारित कर दिया गया। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने पहले विपक्षी सांसदों के संशोधन प्रस्तावों पर ध्वनिमत से वोटिंग कराई, लेकिन सभी संशोधन खारिज हो गए। इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम के जरिए अंतिम मतदान हुआ, जिसमें 520 सांसदों ने हिस्सा लिया। नतीजा रहा- 288 वोट पक्ष में और 232 विपक्ष में।
विपक्ष का अगला कदम: कोर्ट की शरण
विपक्ष ने इस बिल को असंवैधानिक करार देते हुए शुरू से ही इसका विरोध किया। मतदान के बाद विपक्षी नेताओं ने साफ कर दिया कि वे हार नहीं मानेंगे और इस मामले को अदालत में ले जाएंगे। उनका कहना है कि यह विधेयक न केवल अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला है, बल्कि संविधान की मूल भावना के खिलाफ भी है।
आगे क्या?
अब सबकी नजरें राज्यसभा पर टिकी हैं, जहां यह बिल आज पेश होगा। क्या वहां भी यह बहुमत हासिल कर पाएगा या विपक्ष इसे रोकने में कामयाब होगा? दूसरी ओर, राहुल गांधी के बयानों ने इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से और गर्म कर दिया है। यह विधेयक न सिर्फ संसद में, बल्कि देश की सड़कों और कोर्टरूम तक बहस का केंद्र बनने जा रहा है। आने वाले दिन बताएंगे कि यह कानून भारत के सामाजिक ताने-बाने पर क्या असर डालेगा।