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Sunday, July 20, 2025

वक्फ संशोधन विधेयक: लोकसभा में पारित, BJP की सख्ती और सांसदों की अनुपस्थिति ने खड़े किए सवाल

नई दिल्ली, 4 अप्रैल 2025, शुक्रवार। लोकसभा में बुधवार को एक हाई-वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला, जब वक्फ संशोधन विधेयक बहुमत से पारित हो गया। करीब 12 घंटे तक चली तीखी बहस के बाद रात 2 बजे यह विधेयक मंजूरी के लिए आगे बढ़ा। 288 सांसदों ने इसके पक्ष में वोट दिया, जबकि 232 ने विरोध में अपनी आवाज बुलंद की। एनडीए सरकार का संख्याबल इस जीत का आधार बना। सरकार ने इसे वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता और निष्पक्ष प्रबंधन का ऐतिहासिक कदम बताया, वहीं विपक्ष ने इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला करार दिया। लेकिन इस जीत के बीच एक सवाल सबके मन में कौंध रहा—भाजपा के दो सांसद इस निर्णायक मौके पर कहां थे?

विधेयक पारित, मगर अनुशासन पर सवाल

2 अप्रैल 2025 को भाजपा ने अपने सभी लोकसभा सांसदों को व्हिप जारी कर संसद में मौजूद रहने का फरमान सुनाया था। व्हिप का मतलब साफ था—हर सांसद को एकजुट होकर मतदान में हिस्सा लेना है। लेकिन केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम और सांसद अपराजिता सारंगी वोटिंग के दौरान गायब रहे। इतना ही नहीं, एनडीए की सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) का एक सांसद भी नदारद था। इस अनुपस्थिति ने भाजपा के अनुशासन और एकजुटता पर सवालिया निशान लगा दिए। पार्टी ने फौरन एक्शन लिया और दोनों सांसदों को नोटिस थमा दिया। सवाल पूछा गया—आखिर वे वोटिंग से क्यों गायब रहे? क्या इसके पीछे कोई खास वजह थी?

सख्ती का संदेश

व्हिप कोई साधारण निर्देश नहीं होता। यह पार्टी का वह हथियार है, जो सुनिश्चित करता है कि सभी सदस्य एक सुर में बोलें और वोट करें। जब कोई सांसद इस आदेश को नजरअंदाज करता है, तो इसे अनुशासन भंग माना जाता है। भाजपा आलाकमान ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए जुएल ओराम और अपराजिता सारंगी से जवाब तलब किया है। यह कदम बताता है कि पार्टी अपनी छवि और एकता को लेकर कितनी संजीदा है, खासकर तब जब मामला सरकार के एक अहम विधेयक से जुड़ा हो।

अपराजिता सारंगी: IAS से सांसद तक का सफर

अपराजिता सारंगी कोई साधारण नाम नहीं हैं। ओडिशा के भुवनेश्वर से लोकसभा सांसद अपराजिता 1994 बैच की IAS अधिकारी रही हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर में 8 अक्टूबर 1969 को जन्मीं अपराजिता के पिता अंग्रेजी के प्रोफेसर थे। IAS के तौर पर उन्होंने भुवनेश्वर नगर आयुक्त और ग्रामीण विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव जैसे अहम पदों पर काम किया। 2012 में उन्हें शक्ति सम्मान से नवाजा गया। 2018 में नौकरी छोड़कर वे भाजपा में शामिल हुईं और 2019 में पहली बार सांसद बनीं। उनके पति संतोष सारंगी भी IAS अधिकारी हैं। ऐसे शानदार करियर वाली अपराजिता की अनुपस्थिति ने सबको चौंका दिया।

जुएल ओराम: ओडिशा में BJP के दिग्गज

केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम ओडिशा के सुंदरगढ़ से सांसद हैं। भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेताओं में शुमार ओराम 12वीं, 13वीं, 14वीं, 16वीं और अब 17वीं लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। वे ओडिशा में भाजपा के संस्थापक नेताओं में से एक हैं और चार साल तक राज्य इकाई के अध्यक्ष रहे। विधानसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका भी उन्होंने बखूबी निभाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल इस दिग्गज नेता की गैरमौजूदगी ने भी कई सवाल खड़े किए।

जीत के बीच चुनौती

वक्फ संशोधन विधेयक की मंजूरी सरकार के लिए बड़ी कामयाबी है, लेकिन भाजपा के भीतर अनुशासन का यह उल्लंघन एक चेतावनी भी है। क्या यह महज संयोग था या कुछ और? दोनों सांसदों के जवाब से ही असल तस्वीर साफ होगी। तब तक यह घटना संसद के गलियारों में चर्चा का विषय बनी रहेगी।

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