नई दिल्ली, 19 अप्रैल 2025, शनिवार। दिल्ली स्टेट हज कमेटी की अध्यक्ष कौसर जहाँ ने हाल ही में वरिष्ठ पत्रकार अनिता चौधरी के साथ एक विशेष साक्षात्कार में नए वक्फ संशोधन कानून को मुसलमानों के हित में बताया। इस साक्षात्कार में उन्होंने न केवल कानून के पक्ष में तर्क दिए, बल्कि इसके विरोधियों पर भी तीखा हमला बोला।
अनिता चौधरी ने सवाल उठाया कि वक्फ बोर्ड संशोधन को लेकर देशभर में, खासकर पश्चिम बंगाल में, एक खास समुदाय द्वारा तीव्र विरोध और हंगामा किया जा रहा है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद मुस्लिमीन के नेता असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस नेता इमरान मसूद और मौलाना मदनी जैसे लोग इस कानून के खिलाफ मुखर हैं। मौलाना मदनी ने तो इसे लेकर इतना डर जताया कि उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा। इस पर कौसर जहाँ ने बेबाकी से कहा, “ये लोग कौम को भड़काने का ठेका ले रखे हैं। अगर ये वाकई मुस्लिम हितों की बात करते, तो इस कानून का समर्थन करते।”
कौसर जहाँ ने वक्फ संशोधन को निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने इशारों में कहा कि इस कानून का विरोध वही लोग कर रहे हैं, जो वक्फ की संपत्तियों पर अवैध कब्जा जमाए बैठे हैं। उनके मुताबिक, यह कानून ऐसे लोगों पर नकेल कसेगा, जो धार्मिक और जनकल्याण के लिए समर्पित संपत्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं।
महिलाओं की भागीदारी और विरोध की सियासत
जब अनिता चौधरी ने मजाकिया लहजे में पूछा कि क्या उनके बयानों पर फतवा जारी हो सकता है, तो कौसर जहाँ ने तल्खी के साथ जवाब दिया, “ये लोग महिला-विरोधी हैं। वक्फ बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी की बात से ही ये तिलमिलाए हुए हैं।” उन्होंने ओवैसी को चुनौती दी कि वे बताएं, उनकी पार्टी में कितनी महिलाओं को प्रमुख स्थान दिया गया है। कौसर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की सराहना करते हुए कहा कि उनकी विचारधारा ने वक्फ बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया है, जो मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
कौसर ने इस्लाम का हवाला देते हुए कहा, “पैगंबर साहब की पत्नी हजरत खदीजा एक सफल व्यापारी और सशक्त महिला थीं। इस्लाम में महिलाओं का विशेष स्थान है, और मोदी सरकार ने इस भावना के अनुरूप ही वक्फ बोर्ड में बदलाव की पहल की है।”
कांग्रेस पर निशाना और मुस्लिम महिलाओं का ‘स्वर्ण युग’
कौसर जहाँ ने कांग्रेस पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कई दशकों तक सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस ने मुस्लिम समुदाय के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया और उन्हें केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया। दूसरी ओर, उन्होंने बीजेपी के पिछले दस साल के शासन को मुस्लिम महिलाओं के लिए ‘स्वर्ण युग’ करार दिया। खास तौर पर तीन तलाक कानून को उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के हित में एक क्रांतिकारी कदम बताया।
उन्होंने कहा, “मोदी सरकार ने मुसलमानों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए जो कदम उठाए हैं, वे कांग्रेस के 70 साल के शासन में नहीं हुए। पीएम मोदी की सोच ‘सबका साथ, सबका विकास’ पर आधारित है।”
पश्चिम बंगाल में हंगामा और ममता पर सवाल
वक्फ संशोधन को लेकर पश्चिम बंगाल में मचे बवाल पर कौसर जहाँ ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी, जो खुद एक महिला हैं, को वक्फ बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी का समर्थन करना चाहिए था। इसके बजाय, उन्होंने ममता पर तुष्टिकरण की राजनीति करने और उपद्रवियों को शह देने का आरोप लगाया। कौसर ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है, फिर बंगाल में इतना हंगामा क्यों? ममता के इशारे पर तोड़फोड़ हो रही है।”
उन्होंने पश्चिम बंगाल की स्थिति को ‘बद से बदतर’ बताते हुए वहां राष्ट्रपति शासन की मांग की। कौसर ने ममता पर निशाना साधते हुए कहा कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों पर भी वे चुप्पी साधे हुए हैं।
वक्फ का असली मकसद और कानून की जरूरत
कौसर जहाँ ने वक्फ की मूल भावना को रेखांकित करते हुए कहा, “वक्फ वह संपत्ति है, जो अल्लाह के नाम समर्पित की जाती है। इसका उपयोग धर्मार्थ और जनकल्याण के लिए होना चाहिए। लेकिन कुछ लोग इसका दुरुपयोग कर अवैध कब्जा जमाए हुए हैं।” उनके मुताबिक, वक्फ संशोधन कानून ऐसे लोगों पर लगाम लगाएगा और संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित करेगा।
उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रगतिशील सोच वाले मुसलमान इस कानून का विरोध नहीं कर रहे। आम मुस्लिम को इससे कोई समस्या नहीं है। विरोध केवल उन लोगों की ओर से है, जो अवैध कब्जों से लाभ उठा रहे हैं।
वक्फ कानून पर कौसर जहाँ की दो टूक: धार्मिक भावनाओं की सियासत या मुस्लिम हितों की रक्षा?
कौसर जहाँ का यह साक्षात्कार न केवल वक्फ संशोधन कानून के पक्ष में एक मजबूत तर्क प्रस्तुत करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे कुछ लोग धार्मिक भावनाओं को भड़काकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं। उनके बेबाक बयान और तीखे तेवर इस बात का संकेत हैं कि वे मुस्लिम समुदाय, खासकर महिलाओं के हितों के लिए दृढ़ता से खड़ी हैं। यह साक्षात्कार निश्चित रूप से एक गंभीर बहस को जन्म देगा कि क्या वक्फ संशोधन कानून वाकई मुस्लिम हितों की रक्षा करेगा या यह केवल राजनीतिक हंगामे का एक और बहाना बनकर रह जाएगा।