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Thursday, December 19, 2024

काशी की पावन धरती पर मृत्यु का इंतजार: भगवान भोलेनाथ की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति

वाराणसी, 29 नवंबर 2024, शुक्रवार। काशी को भगवान भोलेनाथ की नगरी वाराणसी के रूप में जाना जाता है। यह पावन नगरी एक ऐसा स्थान है जहां मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां मरने वाले इंसान को मुक्ति के साथ शिवलोक की प्राप्ति होती है। काशी में मरने का महत्व इसलिए है क्योंकि यहां भगवान भोलेनाथ स्वयं मरने वाले के कानों में तारक मंत्र देकर उसे शिवलोक ले जाते हैं। इससे वह बार-बार के पुनर्जन्म के बंधनों से मुक्त हो जाता है। वर्तमान समय में काशी में 40 लोग अपनी मृत्यु का इंतजार कर रहे हैं। ये लोग अपने जीवन के अंतिम समय में काशी के इसी पवित्र स्थल पर आकर अपने प्राणों को देना चाहते हैं।
काशी में मृत्यु का इंतजार: 40 वृद्धों की अनोखी कहानी
काशी विश्वनाथ धाम परिसर में स्थित मुमुक्षु भवन में 40 वृद्ध अपनी मृत्यु का इंतजार कर रहे हैं। ये वृद्ध अपना घर, परिवार, संपत्ति और अपनों को छोड़कर काशी में आकर बस गए हैं। उनकी बस एक ही इच्छा है – मृत्यु आए तो काशी में ताकि मोक्ष की प्राप्ति हो सके। काशी में मृत्यु को उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यहां पर शव लेकर श्मशान जा रहे लोग शव के आगे बैंड बाजे के साथ नाचते गाते मिल जाएंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि काशी में मृत्यु को दुख नहीं बल्कि उत्सव माना जाता है। यहां पर मरना मतलब मोक्ष की प्राप्ति करना है। काशी में सदियों से ऐसे स्थानों का निर्माण होता रहा है जहां लोग मृत्यु का इंतजार कर सकते हैं। मुमुक्षु भवन भी ऐसा ही एक स्थान है जहां 40 वृद्ध अपनी मृत्यु का इंतजार कर रहे हैं। उनकी कहानी अनोखी है और यह दर्शाती है कि काशी में मृत्यु को कैसे उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
काशी विश्वनाथ धाम का मुमुक्षु भवन: मृत्यु के इंतजार में रहने वालों के लिए एक आश्रय
काशी विश्वनाथ धाम में मुमुक्षु भवन तारा संस्थान और नारायण सेवा संस्थान उदयपुर की तरफ से निशुल्क चलाया जाता है। यहां पर रहने वाले लोगों के लिए रहने, खाने-पीने और इलाज की व्यवस्था की जाती है। यह स्थान उन लोगों के लिए एक आश्रय है, जो अपनी मृत्यु का इंतजार कर रहे हैं। यह स्थान काशी विश्वनाथ धाम के नवनिर्माण के साथ ही बनाया गया था। यहां पर रहने वाले लोगों को किसी भी तरह का कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। यह स्थान दान पुण्य के बल पर चलता है।
मुमुक्षु भवन: काशी में मोक्ष की तलाश में रहने वाले बुजुर्गों के लिए एक आश्रय
मुमुक्षु भवन की मैनेजर सुनैना खरे ने बताया कि यहां पर रहने वाले लोगों को डॉरमेट्री में रहने की व्यवस्था की जाती है। इसके अलावा, उन्हें सुबह की चाय, नाश्ता, खाना, शाम की चाय और खाना भी उपलब्ध करवाया जाता है। यह सभी सुविधाएं निशुल्क हैं। इसके अलावा, यहां पर दो डॉक्टर, नर्स और काउंसलर की टीम भी उपलब्ध रहती है जो 24 घंटे लोगों की सेवा करते हैं। सुनैना खरे ने बताया कि काशी के मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर समूह का अंतिम संस्कार भी होता है और लोग यहां पर मोक्ष के लिए पहुंचते हैं। मुमुक्षु भवन का निर्माण विश्वनाथ धाम गंगा तट से महज 100 मीटर की दूरी पर बैद्यनाथ भवन में हुआ है। यहां पर रहने वाले बुजुर्ग लोगों को काशी में अपनी अंतिम सांस लेने का अवसर मिलता है।
मुमुक्षु भवन: एक ऐसा स्थान जहां जीवन के अंतिम पल शांति से बिताए जाते हैं
मैनेजर सुनैना खरे ने बताया कि मुमुक्षु भवन एक ऐसा स्थान है जहां लोग अपने जीवन के अंतिम पल शांति से बिताने के लिए आते हैं। यहां रहने के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं निशुल्क उपलब्ध होती हैं, जिसमें भोजन, दवा और अन्य सुविधाएं शामिल हैं। यहां आने से पहले, परिवार के सदस्यों से एक पत्र लिया जाता है, जिसमें वे यह स्पष्ट करते हैं कि व्यक्ति या महिला को यहां पर रखा जा रहा है और उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। यहां रहते हुए यदि किसी की मृत्यु होती है, तो उनके परिजनों को सूचना दे दी जाती है। यदि वे आते हैं, तो दाह संस्कार स्वयं करते हैं। यदि वे नहीं आते हैं, तो अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी भी संस्थान की होती है।

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