नई दिल्ली, 6 नवंबर 2024, बुधवार। दुखवा मिटाईं छठी मईया… लोकगायिका शारदा सिन्हा ने छठी मईया से गुहार लगाई थी, और अब वह इस दुनिया से रुखसत हो गईं। पति के बिछोह के महज 44 दिनों के अंतराल पर लोक आस्था के महापर्व छठ के नहाय-खाय के दिन वह हमारे बीच से चल बसीं। शारदा सिन्हा की आवाज में छठ की भक्ति और पवित्रता का अनुभव होता था। उनके गीतों ने लाखों दिलों को छुआ है और उनकी संगीतमय विरासत हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी। छठी मईया की भक्त शारदा सिन्हा का निधन बिहार के लिए एक बड़ी क्षति है, लेकिन उनकी यादें हमेशा हमारे दिलों में रहेंगी। दुखवा मिटाईं छठी मईया… शारदा सिन्हा की आखिरी यात्रा पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
छठ की भक्ति में खो गई एक आवाज
72 वर्षीय लोकगायिका शारदा सिन्हा ने छठ के नहाय खाय की शाम मंगलवार को दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। वह छह-सात साल से कैंसर से जूझ रही थीं और पति के असामयिक निधन के बाद टूट गई थीं। परिवार के साथ पूरा बिहार उनकी वापसी की उम्मीद लगाए बैठा था, लेकिन शायद उन्हें जिंदगी अधूरी लग रही थी। सोमवार को वेंटिलेटर पर गईं और मंगलवार को छठी मइया ने उन्हें बुला लिया। छठ गीतों का पर्याय रहीं शारदा सिन्हा ने निधन के तीन दिन पहले ही अपना अंतिम छठ एल्बम एम्स से ही रिलीज कराया था। यह उनकी छठ के प्रति आखिरी भक्ति थी, जो हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी। शारदा सिन्हा का निधन बिहार के लिए एक बड़ी क्षति है, लेकिन उनकी संगीतमय विरासत हमेशा हमारे दिलों में रहेगी।
शारदा सिन्हा की याद में अंजिता सिन्हा का भावपूर्ण संदेश
पत्रकार अंजिता सिन्हा, जो शारदा सिन्हा से कई दशकों से जुड़ी हुई थीं, रुंधे गले से कहती हैं- “शारदा सिन्हा ने लगभग छह दर्जन छठ गीतों को अपने स्वरों से सजाया था। हर साल वे एक नया छठ गीत एल्बम रिलीज करती थीं। इस बार भी उन्होंने ऐसा ही किया, लेकिन इस बार वीडियो की जगह ऑडियो रिलीज किया गया।” अंजिता सिन्हा आगे कहती हैं- “शायद शारदा जी जिस दुख को मिटाने की आस लगाए बैठी थीं, वह दुख पति से बिछोह ही था। उनका अंतिम गीत ‘दुखवा मिटाईं छठी मईया’ इसी दुख को व्यक्त करता है।” अंजिता सिन्हा के शब्दों में शारदा सिन्हा के प्रति गहरा सम्मान और स्नेह झलकता है। उनकी याद में अंजिता सिन्हा का यह संदेश एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि है।
छठ के महापर्व में एक आवाज की विदाई
बिहार समेत देश-विदेश में छठ गीतों के जरिए शारदा सिन्हा की आवाज गूंज रही है, लेकिन उसी समय उन्हें छठी मइया ने बुला लिया। यह एक विचित्र संयोग है कि जब उनके गीतों की गूंज घर-घर में हो, तब वह हमारे बीच से चल बसीं। कई बार उनकी मौत की अफवाह उठी थी, लेकिन इस बार यह अफवाह सच साबित हुई। चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन शारदा सिन्हा के गीतों की गूंज के बीच उनके वापस लौटने की उम्मीद टूट गई। अब उनका पार्थिव शरीर छठ के समय ही पटना लाया जाएगा, जहां उनके प्रशंसक उन्हें अंतिम विदाई देंगे। “पटना के घाटे पर देब हम अरघिया ए छठी मईया…” का स्वर घर-घर में गुंजायमान है, लेकिन अब इसे गाने वाली शारदा सिन्हा हमारे बीच नहीं हैं। शारदा सिन्हा का निधन बिहार के लिए एक बड़ी क्षति है, लेकिन उनकी संगीतमय विरासत हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी।
शारदा सिन्हा की आवाज: छठ के महापर्व में एक अनमोल विरासत
बिहार ही नहीं, देश-दुनिया में जहां भी छठ होता है, शारदा सिन्हा की आवाज गूंजती है। स्वर कोकिला पद्मभूषण शारदा सिन्हा के छठ गीतों की लोकप्रियता ऐसी है कि उनकी आवाज से ही माहौल बनता है। मंगलवार को जब उनकी मौत की अफवाह उड़ती रही, एक बड़ा वर्ग छठी मईया और सूरज देव से शारदा सिन्हा के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहा था। लोगों को विश्वास था कि उनकी प्रार्थना का असर होगा और शारदा सिन्हा उनके बीच स्वस्थ होकर आएंगी। लेकिन, शारदा सिन्हा को जीवनसंगी के पास पहुंचना था। उनकी आवाज अब हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनकी संगीतमय विरासत हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी। शारदा सिन्हा के गीतों में छठ की भक्ति और पवित्रता का अनुभव होता है, जो हमें हमेशा प्रेरित करेगी।
जीवनसाथी के बिछोह ने तोड़ दिया
पिछले महीने शारदा सिन्हा के पति ब्रजकिशोर सिन्हा का ब्रेन हेमरेज से निधन हो गया था। इस जीवनसाथी के बिछोह से शारदा सिन्हा को मर्मान्तक पीड़ा हुई। वह पहले से ही मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित थीं, लेकिन पति के निधन के बाद उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी। नई दिल्ली स्थित एम्स में उन्हें ऑन्कोलॉजी विभाग में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था, लेकिन जीवनसाथी के बिछोह के बाद उनकी सेहत में सुधार नहीं हुआ। अंततः, मंगलवार को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।