ब्रह्मांड के पहले इंजीनियर कहे जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की जयंती हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है। इस दिन हर कारखाने, फैक्ट्री और दुकानों में उनकी धूमधाम से पूजा की जाती है। इस दिन औजार से जुड़ा काम करने वाले कुशल मजदूर और कामगार औजार का प्रयोग नहीं करते बल्कि उनकी पूजा करके उन्हें एक दिन के आराम देते हैं। इस दिन फैक्ट्रियों में सभी मशीनों और कलपुर्जों की पूजा की जाती है। तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग विश्वकर्माजी को अपना भगवान मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
विश्वकर्मा पूजा की तिथि
विश्वकर्मा पूजा को लेकर लोगों के बीच में इस बार कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है। हर साल भाद्रपद मास में सूर्य जब सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करते हैं तो विश्वकर्मा पूजा मनाई जाती है। हर साल 17 सितंबर को यह पूजा की जाती है। इस बार सूर्य 16 सितंबर की शाम को 7 बजकर 29 मिनट पर कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इसलिए विश्वकर्मा जयंती अगले दिन यानी कि 17 सितंबर को मनाई जाएगी। बिहार, बंगाल और झारखंड के साथ ही उत्तर प्रदेश में विश्वकर्मा पूजा विधिविधान से की जाती है। इ