नई दिल्ली, 13 दिसंबर 2024, शुक्रवार। सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा है कि अगली तारीख तक मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर कोई नया मुकदमा दर्ज न हो और निचली अदालतें फिलहाल सर्वे का भी आदेश न दें। वहीं, इस फैसले पर वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा है कि यह फैसला संघर्ष में एक छोटी सी बाधा है, लेकिन हम साथ मिलकर इसे पार कर सकते हैं और सफल होंगे। उन्होंने कहा है कि हम काशी, मथुरा और अन्य धार्मिक स्थलों की मुक्ति के लिए लड़ते रहेंगे।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर केंद्र सरकार को 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के संबंध में एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार को 4 सप्ताह में लंबित याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को भी 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। इस दौरान, कोर्ट ने यह भी नोट किया है कि 4 साल से लंबित मामले पर अभी तक केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल नहीं किया है। कोर्ट ने कहा है कि वह केंद्र और याचिकाकर्ताओं के जवाब को देखने के बाद आगे सुनवाई करेगी।
प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं: क्या है यह कानून और क्यों हो रही है इसकी चुनौती?
1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट एक महत्वपूर्ण कानून है जो देश के हर धार्मिक स्थल की स्थिति को 15 अगस्त 1947 को वैसा ही बनाए रखने की बात कहता है। इस कानून को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई हैं। इन याचिकाओं में कहा गया है कि यह कानून हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध समुदाय को अपना अधिकार मांगने से वंचित करता है। यह कानून किसी भी धार्मिक स्थल के स्वरूप में बदलाव को रोकता है, जो कि 15 अगस्त 1947 को वैसा ही था।
प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर सियासत: जमीयत उलेमा ए हिंद और कई नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिकाएं
प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर कई संगठनों और नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की हैं। इनमें सुन्नी मुस्लिम उलेमाओं के संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, कांग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा, आरजेडी सांसद मनोज झा, एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड, सीपीएम नेता प्रकाश करात शामिल हैं। इन याचिकाओं में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दे। जमीयत उलेमा ए हिंद का कहना है कि अयोध्या विवाद के अलावा बाकी मामलों में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का पालन होना चाहिए। उन्होंने कहा है कि यह कानून भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के मुताबिक है।