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Saturday, April 20, 2024

श्रीलंका में पीएम महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद भारी हिंसा भड़क उठी

श्रीलंका में सोमवार को पीएम महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद भारी हिंसा भड़क उठी। इसमें सत्ता पक्ष के सांसद अमरकीर्ति अथुकोराला ने एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी और फिर खुद को भी गोली मार ली। हालिया सप्ताहों की इस जबर्दस्त हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई और 200 से ज्यादा घायल हो गए।

पूरे श्रीलंका में बुधवार तक कर्फ्यू लगा दिया गया है, इसके बावजूद तनाव कायम है, क्योंकि भारी आर्थिक संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। देश भारी आर्थिक व राजनीतिक संकट में फंस गया है। विपक्ष का आरोप है कि देश का सबसे शक्तिशाली राजनीतिक परिवार इस संकट का जिम्मेदार है। श्रीलंका में संकट से राजपक्षे परिवार की छवि बुरी तरह धूमिल हुई है। पीएम के अलावा उनके भाई राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के भी इस्तीफे की मांग उठ रही है।

सोमवार को हुई जबर्दस्त हिंसा के बाद से पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया है, आपातकाल पहले ही लगाया जा चुका है। राजधानी कोलंबो में हिंसा पर काबू करने के लिए सेना को तैनात किया गया है।

पीएम महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद अब देश में सर्वदलीय अंतरिम सरकार बनाने का रास्ता साफ हो गया है। सोमवार को महिंदा ने पद छोड़ने के साथ ही जनता से संयम बरतने की अपील की थी।पीएम के इस्तीफे के बाद उनके समर्थकों की प्रदर्शनकारियों से झड़प शुरू हो गई। कोलंबो में कई सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ भी भिड़ंत हुई। हिंसा में सत्तारूढ़ पार्टी एसएलपी के सांसद अमरकीर्ति समेत पांच लोग मारे गए।  संघर्ष में 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए।

 

हंबनटोटा में राजपक्षे परिवार के पैतृक घर में आग लगा दी गई। प्रदर्शनकारियों ने कोलंबो के टेंपल ट्रीज के पास पीएम आवास पर भी धावा बोलने की कोशिश की।श्रीलंका में लोगों की मूलभूत जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही हैं। दूध से लेकर ईंधन तक नहीं मिल रहा है। खाद्यान्न की भारी कमी और बिजली कटौती से बुरा हाल है। अमेरिका ने कहा है कि श्रीलंका के हालात पर हमारी पूरी नजर है। शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों और निर्दोष लोगों के खिलाफ हिंसा चिंताजनक है। राष्ट्रपति राजपक्षे ने एक बयान जारी कर संसद में सभी दलों को एक राष्ट्रीय सरकार में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।श्रीलंका पर अरबों डॉलर का कर्ज है। बेशुमार महंगाई हो रही है। लोगों का जीना मुहाल है। विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा ने कहा कि सरकार प्रायोजित हिंसा के खिलाफ खुद का बचाव करने में हम सक्षम हैं, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम दया में भी सक्षम हैं। आने वाली पीढ़ियां देख रही हैं कि हम अपना आक्रोश जताने का कौनसा तरीका चुनते हैं। अहिंसा ही श्रेष्ठ है।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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