कोलकाता, 12 अप्रैल 2025, शनिवार। पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद जिला एक बार फिर हिंसा की आग में झुलस रहा है। वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ भड़के विरोध ने शुक्रवार, 11 अप्रैल को निमतिता रेलवे स्टेशन को रणक्षेत्र में बदल दिया। गुस्साई भीड़ ने ट्रेन पर पथराव किया, स्टेशन की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और हिंसा का ऐसा तांडव मचाया कि सात से दस पुलिसकर्मी घायल हो गए। हालात को काबू करने के लिए बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) को उतारना पड़ा, लेकिन सवाल यह है—आखिर यह आग बुझ क्यों नहीं रही?
हिंसा की लपटें, बेकाबू भीड़
सुति, धूलियन और अमतला जैसे मुर्शिदाबाद के संवेदनशील इलाकों में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तीखी झड़पें हुईं। प्रदर्शनकारियों पर गाड़ियों को आग लगाने और सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने के गंभीर आरोप हैं। इस हिंसा ने रेल सेवाओं को भी ठप कर दिया—दो ट्रेनें रद्द कर दी गईं, पांच का रास्ता बदलना पड़ा। स्टेशन पर मौजूद कुछ यात्री पथराव की चपेट में आकर घायल हो गए। यह सब तब हुआ, जब इलाके में पहले से ही तनाव का माहौल था।
राज्यपाल की सख्त चेतावनी
राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने इस हिंसा को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने कहा, “प्रदर्शन के नाम पर हिंसा और आम लोगों की जान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” बोस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और मुख्य सचिव के साथ हालात की समीक्षा की और राज्य सरकार को तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए। राजभवन ने एक 24×7 कंट्रोल रूम और हेल्पलाइन (033-22001641) शुरू की है, ताकि जनता की सूचनाओं पर नजर रखी जा सके। बोस ने यह भी खुलासा किया कि उन्हें पहले से हिंसा की आशंका थी, जिसके बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय को सूचित किया गया था।
केंद्र को भी इस मामले की गंभीरता से अवगत कराया गया है। बोस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात की, क्योंकि हिंसा प्रभावित इलाके अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब हैं। उनका कहना है, “हमारे पास एक ‘पीस रूम’ है, जहां स्थिति पर पैनी नजर रखी जा रही है।”
पुलिस और BSF का एक्शन
पश्चिम बंगाल पुलिस ने दावा किया है कि जंगीपुर के सुती और समसेरगंज में स्थिति अब नियंत्रण में है। पुलिस ने उपद्रवियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है और छापेमारी कर दोषियों को पकड़ा जा रहा है। दूसरी ओर, BSF ने जिला प्रशासन के अनुरोध पर जवानों को तैनात कर हालात सामान्य करने में मदद शुरू की है।
राजनीतिक अपील और उबलता असंतोष
तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता कुणाल घोष ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने बताया कि 16 अप्रैल को कोलकाता में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इमामों के साथ अहम बैठक करने वाली हैं। लेकिन क्या यह अपील हिंसा की आग को ठंडा कर पाएगी? यह सवाल अभी अनुत्तरित है।
वक्फ अधिनियम: विवाद की जड़
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को संसद ने पिछले हफ्ते पारित किया था और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद यह 8 अप्रैल से लागू हो गया। इस कानून को लेकर विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। कोलकाता की अलीया यूनिवर्सिटी के छात्रों ने भी शुक्रवार को इसके खिलाफ मार्च निकाला। इससे पहले 8 अप्रैल को मुर्शिदाबाद में प्रदर्शन हिंसक हो चुका था, जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सड़क जाम करने से रोका था।
क्या है आगे की राह?
मुर्शिदाबाद की सड़कों पर फैली अशांति न केवल कानून-व्यवस्था की चुनौती है, बल्कि यह सामाजिक ताने-बाने को भी प्रभावित कर रही है। एक तरफ प्रदर्शनकारी अपनी बात रखने के लिए सड़कों पर हैं, तो दूसरी ओर हिंसा ने आम लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। क्या बातचीत और संवाद इस तनाव को खत्म कर पाएंगे, या यह आग और भड़केगी? फिलहाल, सभी की निगाहें सरकार और प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं।