मिर्जापुर, 11 मई 2025, रविवार। मिर्जापुर का विंध्याचल धाम, जहां मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए देशभर से लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं, आज एक अलग ही संकट से जूझ रहा है। यह पवित्र स्थल, जो आस्था और शांति का प्रतीक है, अब अवैध वसूली और भ्रष्टाचार के दलदल में फंसता नजर आ रहा है। नगर पालिका के कथित भ्रष्ट तंत्र ने श्रद्धालुओं की आस्था पर गहरा आघात पहुंचाया है, और प्रशासन की चुप्पी इस घाव को और गहरा कर रही है।
बात शुरू होती है नगर पालिका की जमीन से, जहां बीते छह सालों से नियम-कायदों को ताक पर रखकर अवैध वसूली का खेल चल रहा है। सूत्रों की मानें तो नगर पालिका अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी (ईओ) अपने चहेतों के जरिए बिना किसी वैध टेंडर के यह गोरखधंधा चला रहे हैं। पहले यह वसूली पारदर्शी तरीके से टेंडर के जरिए होती थी, जिससे सरकारी खजाने में राजस्व जमा होता था। लेकिन अब यह व्यवस्था पूरी तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। नतीजा? करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान और श्रद्धालुओं का बढ़ता आक्रोश।
सबसे दुखद पहलू है श्रद्धालुओं के साथ हो रही बदसलूकी। न कोई निश्चित दर, न कोई जवाबदेही—जो मन में आया, वसूल लिया। पार्किंग से लेकर अन्य सुविधाओं के नाम पर मनमानी वसूली ने विंध्याचल की पवित्रता को दागदार कर दिया है। कई श्रद्धालुओं ने इसकी शिकायत की, लेकिन उनकी आवाज प्रशासन के कानों तक पहुंचकर भी अनसुनी रह गई। आलम यह है कि जिला प्रशासन और जिलाधिकारी इस मामले पर खामोश हैं, मानो कुछ हुआ ही न हो।
स्थानीय लोग और दर्शनार्थी सवाल उठा रहे हैं—आखिर प्रशासन की यह चुप्पी क्यों? क्या भ्रष्टाचार के इस खेल में ऊंचे स्तर पर भी सांठगांठ है? यह सवाल इसलिए भी गंभीर है, क्योंकि विंध्याचल धाम केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। यहां की गरिमा और पवित्रता को बनाए रखना हर जिम्मेदार व्यक्ति का कर्तव्य है।
अब समय आ गया है कि प्रशासन नींद से जागे। जिलाधिकारी और एडीएम को इस मामले की गहन और निष्पक्ष जांच करानी चाहिए। दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में कोई ऐसी हिम्मत न कर सके। विंध्याचल धाम को भ्रष्टाचार के चंगुल से मुक्त कर, इसकी खोई हुई गरिमा को बहाल करना होगा।