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Monday, June 23, 2025

नमो घाट के उद्घाटन पर उपराष्ट्रपति का स्वदेशी समरसता मंत्र

✍️ विकास यादव
वाराणसी, 16 नवंबर 2024, शनिवार। विश्व के सबसे बड़े और सुंदर घाट ‘नमो घाट’ का उद्घाटन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। अपने संबोधन में, उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत सनातन की भूमि है और काशी इसका केंद्र है, जो सभी को समाहित करता है और एकता व दृढ़ता की सीख देता है।
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा करते हुए कहा कि योगी जी अपनी लगन और निष्ठा से उत्तर प्रदेश को उद्यम प्रदेश बनाकर इसे सर्वोच्च प्रदेश बनाने की दिशा में अग्रसर हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की तरह योगी आदित्यनाथ भी संरक्षण, सृजन, दूरदर्शी और सराहनीय विकास के लिए समर्पित हैं। यह उद्घाटन कार्यक्रम काशी के विकास और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। नमो घाट का निर्माण काशी की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को बचाने और बढ़ावा देने के लिए किया गया है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नमो घाट के उद्घाटन समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि उनके मार्गदर्शन से उन्हें कई अवसरों पर लाभ हुआ है। उपराष्ट्रपति ने नमो घाट के उद्घाटन को अपने लिए सौभाग्य का क्षण बताया और इस दिन को विशेष बताया, क्योंकि यह सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव का 555वां प्रकाश पर्व और भगवान बिरसा मुंडा की जयंती भी है।
उन्होंने आदिवासी समुदाय की गौरवशाली विरासत की सराहना की और कहा कि देव दीपावली का यह पारंपरिक उत्सव समाज के हर वर्ग को एक साथ आने का अवसर देता है। यह बदलते भारत की तस्वीर को दर्शाता है और यह ऐतिहासिक क्षण मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि नमो घाट के उद्घाटन से वाराणसी ने अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को विश्व के सामने गौरव के साथ प्रस्तुत किया है।
उपराष्ट्रपति ने स्वदेशी भावना को बढ़ावा देने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी दीप हमारे देश की मिट्टी, तेल और रुई का अनोखा संयोजन है, जो हमारी संस्कृति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। उन्होंने वैश्विक व्यापार में भी स्वदेशी भावना को महत्व देने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके अलावा, उन्होंने सामाजिक समरसता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत सामाजिक समरसता की नींव है, और हमें मतभेदों के बावजूद मनभेद को कम रखना चाहिए। सौहार्दपूर्ण संवाद और आस-पड़ोस का ध्यान रखना ही त्योहारों की खास बात है।

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