नई दिल्ली, 30 मई 2025, शुक्रवार। भारतीय इतिहास में वास्कोडिगामा को भारत का खोजकर्ता बताया जाता है, लेकिन उनके चरित्र के कई पहलू हमें नहीं बताए गए। जिस व्यक्ति को हम खोजकर्ता के रूप में जानते हैं, वह दरअसल एक लूटेरा था, जिसने भारत में न केवल लूटपाट की, बल्कि रक्तपात भी किया।
लगभग 500 साल पहले, मई 1498 में, एक गर्म दिन पर केरल के कालीकट तट पर एक यूरोपियन पहुंचा। उसने कोट-पतलून और सिर पर बड़ी टोपी पहन रखी थी। कालीकट के जमोरिन राजा के स्वर्ण सिंहासन के सामने हाथ जोड़े खड़ा वह व्यक्ति वास्कोडिगामा था। राजा और दरबारी उसकी वेशभूषा पर हंस रहे थे, तो वह भी उनकी पोशाक देखकर हैरान था।
उस समय यूरोप में भारत के बारे में बहुत कम जानकारी थी। वे केवल इतना जानते थे कि भारत एक समृद्ध देश है, जहां से अरबी व्यापारी सामान लाकर यूरोप में महंगे दामों पर बेचते हैं। यह जानकारी मार्कोपोलो नामक इटालियन व्यापारी से मिली थी, जो 13वीं सदी में प्राचीन सिल्क रूट के रास्ते भारत आया था। मार्कोपोलो ने केरल के राजाओं की शानो-शौकत, स्वर्ण-हीरे के आभूषण और समृद्ध व्यापार देखकर यूरोप को भारत की पहली पुख्ता जानकारी दी थी।
लेकिन 15वीं सदी तक स्थिति बदल गई। कुस्तुनतुनिया (आधुनिक तुर्की) पर मुस्लिम शासन स्थापित होने से यूरोप का सिल्क रूट बंद हो गया। यूरोपियन व्यापारियों में भारत तक पहुंचने की बेचैनी बढ़ने लगी। 1492 में क्रिस्टोफर कोलंबस भारत खोजने निकले, लेकिन रास्ता भटककर अमेरिका पहुंच गए। उन्होंने वहां के लोगों को “रेड इंडियन” कहकर भारत समझ लिया। बाद में इटालियन नाविक अमेरिगो वेस्पुसी ने 1501 में उस “नई दुनिया” को खोजा और उसे अमेरिका नाम दिया गया।
वास्कोडिगामा ने पुर्तगाल से समुद्री रास्ते की खोज कर 1498 में कालीकट पहुंचकर भारत के दरवाजे यूरोप के लिए खोल दिए। उन्होंने जमोरिन राजा से व्यापार की अनुमति मांगी और प्राप्त भी की। लेकिन कुछ वर्षों बाद हालात बदल गए। पुर्तगालियों ने अपनी ताकत बढ़ाई, साम-दाम-दंड की नीति अपनाकर राजा को कमजोर किया और अंततः उनकी हत्या तक करवा दी।
पुर्तगालियों ने 70-80 साल तक भारत को लूटा। उनके बाद फ्रांसीसी आए, फिर डच, और अंत में अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाकर व्यवस्थित लूट शुरू की। वास्कोडिगामा ने 20 मई 1498 को भारत में पहला कदम रखा था, लेकिन उनके और उनके साथियों के कृत्यों ने भारत को बर्बाद कर इतिहास रच दिया।
वास्कोडिगामा को भारत का खोजकर्ता कहना एक अधूरी सच्चाई है। उनके आगमन ने भारत को समृद्धि नहीं, बल्कि लूट और रक्तपात का लंबा दौर दिया। यह इतिहास हमें उस दौर की सच्चाई से रूबरू कराता है, जिसे अक्सर छिपाया जाता है।