वाराणसी, 11 जून 2025, बुधवार: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत होने जा रही है। जिले के 978 प्राथमिक स्कूलों को सूर्य की किरणों से रोशन करने की शानदार योजना तैयार की गई है। इन स्कूलों में ऑन-ग्रिड सोलर पैनल लगाने का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (यूपीनेडा) के मुख्यालय को भेजा गया है। जैसे ही इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिलेगी, स्कूलों को सौर ऊर्जा से जगमगाने का काम तेजी से शुरू हो जाएगा। खास बात यह है कि जिले के 167 स्कूल पहले ही सौर ऊर्जा की रोशनी से चमक रहे हैं!
स्कूल बनेंगे सौर ऊर्जा के मॉडल
मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने बताया कि वाराणसी में कुल 1145 प्राथमिक स्कूल हैं, जिनमें से 167 पहले ही सोलर पावर से संचालित हो रहे हैं। अब बाकी 978 स्कूलों को भी सौर ऊर्जा से लैस करने की योजना है। इसके लिए जरूरत के हिसाब से किलोवाट क्षमता बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। यह पहल न सिर्फ स्कूलों को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि उनकी कार्यक्षमता को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।
यह योजना बच्चों और समुदाय को नवीकरणीय ऊर्जा के प्रति जागरूक करने का एक सुनहरा अवसर है। इतना ही नहीं, यह अन्य सरकारी और निजी संस्थानों के लिए भी एक प्रेरणादायक मॉडल बनेगी, जो पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा अपनाने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
बचपन से जागेगी पर्यावरण और विज्ञान की चेतना
हिमांशु नागपाल ने कहा कि सोलर पैनल न केवल बिजली की बचत करेंगे, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित होंगे। यह पहल स्कूलों पर वित्तीय बोझ को कम करेगी और बच्चों को छोटी उम्र से ही सौर ऊर्जा का महत्व समझाएगी। जब बच्चे सूरज की किरणों से बिजली बनते देखेंगे, तो उनकी रुचि न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण में बढ़ेगी, बल्कि विज्ञान के प्रति भी उनका उत्साह जागेगा। यह अनुभव उन्हें भविष्य के लिए जिम्मेदार और जागरूक नागरिक बनने की प्रेरणा देगा।
कैपेक्स मोड में लगेंगे सोलर प्लांट
यूपीनेडा के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी शशि गुप्ता ने बताया कि सोलर पावर प्लांट कैपेक्स मोड में स्थापित किए जाएंगे। यह निर्णय वाराणसी के प्राथमिक स्कूलों के लिए एक दूरदर्शी और ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल स्कूलों की मौजूदा बिजली जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करेगा।
वाराणसी की यह सौर क्रांति न सिर्फ शिक्षा को रोशन करेगी, बल्कि पर्यावरण और भविष्य को भी उज्ज्वल बनाएगी!